उन्नाव। राष्ट्रीय सैनिक छात्र सेवा परिषद के संस्थापक अध्यक्ष द्वारा शुक्रवार को अक्षय तृतीया व महर्षि परशुराम जन्मोत्सव पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत किया तथा बाद में 151 फीट परशुराम मंदिर का भूमि पूजन व हवन किया गया।सभी नागरिकों ने हवन में आहुति अर्पित कर विश्व कल्याण की कामना किया।संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने बताया कि महर्षि परशुराम के जीवन में कथाओं के अनुसार भगवान नारायण ने अपने छठे अवतार में पृथ्वी पर ऋषि जमदग्नि के घर में परशुराम के रूप में अवतार लिया था। उन्होंने अन्याय व अत्याचार के खिलाफ शस्त्र उठाकर 21 बार धरती से क्षत्रियों का संहार किया,अक्षय तृतीया पर जहां भगवान परशुराम का विभिन्न स्थानों पर जन्मोत्सव मनाया जाता है। रामचरित मानस के अखंड पाठ के समापन कार्यक्रम के अंत में 251 कन्या खिला कर विशाल प्रसाद वितरण किया गया। तत्पश्चात बादल गोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान विष्णु के अवतार परशुराम के संबंध में पौराणिक जानकारियों को साझा करते हुए फूलों की होली व आतिशबाजी व 16 लाख महामंत्रों का किया गया। चौराहे के पास विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए रैली भी निकाली गई।
संस्था अध्यक्ष अंकित शुक्ला ने भगवान परशुराम का हिदू धर्म ग्रंथों में आठ महापुरुषों का वर्णन है, जिन्हें आज भी अमर माना जाता है इन्हें अष्टचिरंजीवी भी कहा जाता है। एक श्लोक के अनुसार अश्वथामा, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास, हनुमान, विभिषण, कृपाचार्य, भगवान परशुराम व ऋषि मार्कण्डेय अमर हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान परशुराम वर्तमान समय में भी कहीं तपस्या में लीन हैं। बाल्यावस्था में परशुराम के माता-पिता इन्हें राम कहकर पुकारते थे। जब राम कुछ बड़े हुए, तो उन्होंने पिता से वेदों का ज्ञान प्राप्त करते हुए धनुर्विद्या सीखने की इच्छा प्रकट की। महर्षि जमदग्निने ने उन्हें हिमालय पर जाकर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कहा। पिता की आज्ञा मानकर राम ने ऐसा ही किया। इस बीच,असुरों से त्रस्त देवता शिवजी के पास पहुंचे और असुरों से मुक्ति दिलाने का निवेदन किया। तब शिवजी ने तपस्या कर रहे राम को असुरों को नाश करने के लिए कहा। श्री राम ने बिना किसी अस्त्र की सहायता से असुरों का नाश कर दिया। इस पराक्रम को देखकर भगवान शिव ने उन्हें अनेक अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। इन्हीं में से एक परशु (फरसा) भी था। यह अस्त्र राम को बहुत प्रिय था। इसे प्राप्त करते ही राम का नाम परशुराम हो गया फरसे से काट दिया।
इस अवसर पर थानाध्यक्ष अवनीश सिंह, ब्लॉक प्रमुख रवि प्रताप सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष सैनिक सीतेश सिंह,पूर्व सैनिक ए के दीक्षित, रसूलपुर प्रधान रिंकू सिंह, जिला पंचायत सदस्य दिलीप मिश्रा, भाजपा नेता अरूण शुक्ला,अनिल शुक्ला, सतगुरु शुक्ला,सचिन तिवारी, अभय प्रताप सिंह,आशू,राजेश अवस्थी,दिनेश आदि जनमानस मौजूद रहे।