रामलीला का शुभारंभ चौबेपुर ब्लाक प्रमुख राजेश शुक्ला ने किया

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शिवली,कानपुर देहात। दशहरा महोत्सव के अवसर पर साकेत धाम रामलीला समिति द्वारा साकेत धाम पर प्रदेश के ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए धनुष यज्ञ कार्यक्रम का सुंदर मंचन देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। रामलीला का शुभारंभ चौबेपुर ब्लाक प्रमुख राजेश शुक्ला यूपी राइस मिलर के प्रदेश अध्यक्ष विनय शुक्ला एवं एडीजी रेलवे लखनऊ संजय त्रिपाठी तथा पूर्व चेयरमैन लल्लन बाजपेयी ने भगवान श्रीराम की आरती कर किया। इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष अमित मिश्रा पिंटू व अन्य पदाधिकारियों द्वारा सभी आगंतुकों का माल्यार्पण कर स्वागत करते हुए अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। रामलीला में एक ओर जहां परशुराम लक्ष्मण के बीच हुए तीखे संवादो को सुन दर्शक रोमांचित हो उठे वहीं रावण बाणासुर संवादों की जमकर प्रशंसा की गयी।राजा जनक के कारुणिक विलाप को सुन दर्शक भाव विभोर हो उठे।
उत्तर भारत के कोने कने में अपनी कला कौशल की बदौलत परचम लहराने वाले प्रख्यात परशुराम अभिनेता स्वर्गीय पंडित शिवदत्त लाल अग्निहोत्री की जन्म स्थली कस्बा शिवली स्थित साकेत धाम प्रांगण पर हर वर्ष कस्बा वासियों एवं क्षेत्र वासियों के सहयोग से दशहरा महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दशहरा महोत्सव के पावन पर्व पर साकेत धाम पर आयोजित किए गए धनुष यज्ञ कार्यक्रम का चौबेपुर ब्लॉक प्रमुख राजेश शुक्ला ने उद्घाटन करते हुए कहा कि हम सबके लिए धर्म एवं राष्ट्रहित सर्वोपरि है। अगर धर्म एवं राष्ट्र पर कोई संकट आए तो हम सबका नैतिक कर्तव्य बनता है कि आपसी मतभेद बुलाकर धर्म एवं राष्ट्र के प्रति एकजुट होकर समर्पित हो जाएं।वहीं एडीजी रेलवे संजय त्रिपाठी ने कहा कि हम लोग भगवान राम को तो मानते हैं लेकिन राम की नहीं मानते हैं और न ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के बताए हुए रास्ते पर चलते हैं। धनुष यज्ञ कार्यक्रम के मंचन में विदेह राज जनक की प्रतिज्ञा के अनुसार रंगभूमि में रखें गए भगवान शिव के धनुष अजगव की प्रत्यंचा चढ़ाने की सभी राजाओं ने भरसक कोशिश की लेकिन उपस्थित राजाओं ने प्रत्यंचा चढ़ा ना तो दूर वह धनुष को हिला तक न सके। इतने में मुनि विश्वामित्र ने शुभ समय जानकर भगवान राम को धनुष तोड़ने का आदेश दिया। रामद्वारा धनुष तोड़ते ही सीता जी उनके गले में वरमाला डाल देती हैं। इधर धनुष टूटने की गर्जना सुन महर्षि परशुराम जनकपुरी आते हैं और अजगव का खंडन देख वह क्रोध में “कहुँ जड़ जनक धनुष केहि तोरा” कहते हुए धनुष तोड़ने वाले को समाज से अलग होने या फिर समाज को उससे प्रथक होने की चेतावनी देते हैं। इसके बाद परशुराम लक्ष्मण के बीच विद्वतापूर्ण संवाद होता है।”भृगुपति कहहिं कुठार उठाये!मन मुसुकाहीं राम सिर नाये” की चौपाई पर क्रोधित परशुराम जी द्वारा विप्र निंदा की बात कहने पर भगवान अस सुभट को जेहिं भयवश नावहीं माथ कहने से परशुराम जी अचंभित हो जाते हैं और वह श्री राम को भगवान विष्णु का दिया हुआ धनुष प्रदान करते हैं उनके हाथ में धनुष आते ही स्वयं प्रत्यंचा चढ़ जाती है। इस पर ब्रह्म को पहचान परशुराम भगवान की स्तुति करते हुए महेंद्रा चल की ओर प्रस्थान करते हैं। धनुष यज्ञ कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पूर्व सभासद रवि बाजपेई मवैया जिला पंचायत सदस्य रामजी अग्निहोत्री राकेश मिश्रा राम प्रकाश दीक्षित रामजी मिश्रा कुलदीप बाजपेई कमलेश मिश्रा गोपाल तिवारी रामजी त्रिवेदी शिवा दीक्षित विवेक द्विवेदी अनुराग त्रिवेदी धीरज द्विवेदी आदि लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अतुल कुमार द्विवेदी शिवम द्विवेदी ने किया। रात दिन चली धनुष यज्ञ कार्यक्रम में सुरक्षा व्यवस्था हेतु शिवली कोतवाल प्रवीण कुमार यादव अपराध निरीक्षक शीलेंद्र कुमार यादव कस्बा प्रभारी आनन्द पांडेय भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रह।


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