बांगरमऊ, उन्नाव।आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा दिनांक 10 जुलाई गुरुवार को मनाईं जायेगी । भारतीय संस्कृति सनातन धर्म से जुड़े सभी सनातनी धर्मावलंबी भक्त श्रृद्धा और विश्वास से युक्त होकर शास्त्र
सम्मत अपने अपने गुरू जनों को ब्रह्मा, विष्णु ,महेश के सदृश मानते हुए श्रृद्धा पूर्वक उनकी पूजा अर्चना कर दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त कर सदाचरण करें ।
यह जानकारी देते हुए पण्डित ऋषि कांत मिश्र शास्त्री ने बताया कि गुरुमुख लोगों के लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण है इस दिन गुरु व्यास भगवान के रूप में उन्हें अपनी शक्ति के अनुरूप उपहार में वस्त्र ,मिष्ठान, फल आदि अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए । इस अवसर पर वेद पुराण सहित समस्त धार्मिक विद्या तथा साहित्य पुराणों के जनक आदि गुरु व्यास भगवान की पूजा की जाती हैं । गुरु पूर्णिमा के दिन की महत्ता बताते हुए कहा कहा कि आज के दिन काशी स्थित व्यास मन्दिर में विशेष रूप से दर्शन पूजन करने का महत्व भी बताया गया है।
आषाढ़ी पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। सभी सनातनी धर्मावलंबी भक्त अपने अपने घरों को गाय के गोबर से गूठते है । ऐसा पूजन करने से वर्ष भर सर्पों का भय नहीं रहता है।
आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को भगवान शिव जी के मन्दिरों में शिवलिंग पर रखें जलहरि को हटा दिया जाएगा और विल्व पत्रादि अर्पित किया जाने लगेगा।
श्रावण मास 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त शनिवार को रक्षाबंधन पर्व के साथ पूर्ण हो रहा है । पूरे श्रावण मास में भगवान शिव जी का जलाभिषेक, रूद्राभिषेक पूजन कर भगवान शिव के पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव जी का प्रति दिन जलाभिषेक करे श्रावण मास में चार सोमवार तथा भौम प्रदोष तथा बुध प्रदोष का संयोग मिल रहा है ।