उन्नाव।हिंदी काव्य मंच के प्रख्यात कवि, ओज और श्रृंगार रस के पुरोधा, तथा ग्राम विकास विभाग में सहायक विकास अधिकारी पद से सेवानिवृत्त सुरेश फक्कड़ का गत दिनों निधन हो गया। उनके निधन की खबर से उन्नाव सहित पूरे हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई।कविता मंचों की शान थे सुरेश फक्कड़
सुरेश फक्कड़ अपने ओजस्वी अंदाज़ और श्रृंगार रस में दक्ष प्रस्तुति के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कवि सम्मेलनों में अपने सशक्त काव्य पाठ से लोगों के हृदय में विशेष स्थान बनाया। उनके निधन को साहित्य प्रेमियों ने उन्नाव की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है।
शोक में डूबा साहित्य और राजनीतिक जगत
उनकी मृत्यु की सूचना मिलते ही साहित्यकारों, राजनीतिक हस्तियों और उनके प्रशंसकों ने गहरा दुख प्रकट किया। सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय साहित्य मंचों तक सुरेश फक्कड़ को श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया। लोगों ने उन्हें याद करते हुए कहा कि “ऐसे कवि विरले होते हैं, जिनकी वाणी में ओज भी होता है और भावनाओं की मधुरता भी।”
शुक्लागंज घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
सुरेश फक्कड़ का अंतिम संस्कार शुक्लागंज के पक्के घाट पर वैदिक विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ। उनके पुत्र आज़ाद और विकास ने पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में साहित्यकार, ग्रामीणजन, प्रशासनिक अधिकारी और उनके शुभचिंतक उपस्थित रहे।