उन्नाव।उत्तर प्रदेश की उन्नाव सीट से बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने लोधी समाज को सत्ता और संगठन में सम्मानजनक भागीदारी नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई है।साक्षी महाराज के इस बयान के बाद कयास लग रहे हैं कि क्या लोधी समाज बीजेपी से नाराज होकर टूट सकता है? जिसके बाद अब इस मामले पर सियासत तेज हो गई है।समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई हैं।उन्होंने साक्षी महाराज का नाम लिए बिना कहा कि बीजेपी में जो लोग ख़ुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं वो जानते हैं कि उनका अंतिम पड़ाव पीडीए हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सांसद साक्षी महाराज का नाम लिए बिना एक्स पर पोस्ट किया और लिखा- ‘भाजपा में जो लोग अपने समाज को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किये जाने के बाद उपेक्षित किये जाने के ‘साक्षी’ हैं, वो जब सच्चे मन से बोलते हैं तो सच ही बोलते हैं। उनके बयान और भाषण भाजपा को अंतिम चुनौती नहीं हैं बल्कि भविष्य का उद्घोष हैं क्योंकि वो भी जानते हैं कि ‘पीडीए’ ही उनका स्वाभाविक और स्थायी पड़ाव है, जहाँ हर पीडीए से सच्चा लगाव है बाकी क्या कहना, वह स्वयं और उनका समाज स्वयं ही अपने मान-सम्मान को लेकर बेहद जागरूक, सक्रिय और समझदार है’।अखिलेश यादव की पोस्ट को उनके पीडीए के फॉर्मूले को मजबूती देने से जोड़कर देखा जा रहा है ताकि 2027 से पहले बीजेपी के ओबीसी वोटरों में सेंध लगाई जा सके।लोधी समाज के लोग लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़े रहे हैं। लेकिन जिस तरह से साक्षी महाराज का दर्द छलका है वो भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है।दरअसल पिछले दिनों भाजपा सांसद साक्षी महाराज यूपी के एटा पहुंचे थे जहां उन्होंने पूर्व सीएम कल्याण सिंह की प्रतिमा का लोकार्पण किया।इस दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए उनकी नाराजगी दिखाई दी।साक्षी महाराज ने कल्याण सिंह का जिक्र करते हुए कहा कि अगर वो नहीं होते किसी में राम मंदिर बनाने का दम नहीं था।विवादित ढांचा गिरने के समय उन्होंने ही कार सेवकों पर गोली नहीं चलाने का फैसला लिया था। साक्षी महाराज ने इस दौरान बीजेपी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कल्याण सिंह के निधन और उमा भारती के जाने के बाद लोधी समाज को सत्ता और संगठन में सम्मानजनक साझेदारी नहीं दी गई। साक्षी महाराज के इस बयान के बाद उनकी नाराजगी को लेकर खबरें तेज हो गई हैं।बता दें यूपी में 5.10 फीसद लोधी वोट हैं।जो प्रदेश की 70 विधानसभा और 12 लोकसभा सीटों पर प्रभाव रखते हैं।