उन्नाव। जिले की पंचायतों में हुए करोड़ों रुपये के गबन की जांच कागज़ों में ही सिमटकर रह गई है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2020-21 के दौरान कुछ हफ्तों के लिए प्रशासक बने एडीओ पंचायतों ने बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति के करीब 7.54 करोड़ रुपये ग्राम निधि से निकाल लिए थे। यह रकम 15 ब्लॉकों में निकाली गई थी, जिसमें सुमेरपुर ब्लॉक में सबसे अधिक 84.34 लाख रुपये की निकासी हुई थी।
जांच टीमें बनीं, रिपोर्ट अब तक नहीं आई
अगस्त 2024 में सीडीओ कार्यालय ने इस घोटाले की जांच के लिए सात टीमें गठित की थीं, जिन्हें एक महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन 9 महीने बाद भी कोई ठोस रिपोर्ट सामने नहीं आई है। जांच की धीमी गति और फाइलों में उलझी प्रक्रिया ने पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
कब और कैसे हुआ ये गबन?
पिछले कार्यकाल के प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर 2020 की रात 12 बजे समाप्त हो गया था। इसके बाद ग्राम पंचायतों में प्रशासक के तौर पर एडीओ पंचायतों को तैनात किया गया। इसी दौरान 5 मई से 25 मई 2021 के बीच, चुनाव परिणाम और शपथग्रहण से पहले, इन अधिकारियों ने नियम विरुद्ध तरीके से ग्राम निधि खातों से भारी-भरकम धनराशि निकाल ली।
इन ब्लॉकों में हुई अनियमितता:
सफीपुर, असोहा, औरास, मियागंज, हसनगंज, नवाबगंज, हिलौली, बीघापुर, सुमेरपुर, सिकंदरपुर कर्ण, सिकंदरपुर सरोसी, बिछिया, फतेहपुर चौरासी, बांगरमऊ और गंजमुरादाबाद में यह वित्तीय खेल खेला गया।
सीडीओ का बयान
कृति राज, मुख्य विकास अधिकारी, उन्नाव ने बताया, “अभी तक लंबित जांच प्रकरणों का संज्ञान नहीं लिया गया है, लेकिन मैं जल्द ही सभी लंबित मामलों की समीक्षा करुंगी और निष्कर्ष तक पहुंचने के निर्देश दूंगी।”