सनातनी महिलाओं द्वारा पतियो की दीर्घायु दिलाने के लिए किया जाने वाला वट सावित्री व्रत आगामी 26 मई को होगा

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बांगरमऊ,उन्नाव।पतियों को दीर्घायु दिलाने वाला वट सावित्री व्रत आगामी 26 मई सोमवार को सुबह 9 बजे से शुरू हो जायेगा, क्योंकि शास्त्रोचित प्रमाण के मिलने से यह वट सावित्री व्रत अमावस्या के दिन पूजन कर समाप्त होता है । जो कि प्रदोष व्रत त्रयोदशी को शुरू किया जाता है । सावित्री जी ने तेरस से संकल्प लिया और अमावस्या को पूर्ण किया था । तब से यह परम्परा हमारे देश में चली आ रही है । हमारे देश की सभी सनातनी माताये बहन बेटियां इस व्रत को धारण करती है । इस वर्ष सभी सनातनियों के मन में द्विविधा है कि व्रत सोमवार को करें या मंगलवार को ।इसका निर्णय सर्व मान्य काशी हिन्दू विश्व पंचांग के अनुसार शास्त्रीय मान्यता है कि चतुर्दशी युक्त अमावस्या सौभाग्य को देने वाली होती है । इस व्रत पूजन में मध्यान्ह व्यापनी ली जाती है । इसलिए 26 मई सोमवार को ही सावित्री व्रत शास्त्र सम्मत माना गया है।
मंगलवार को अमावस्या सूर्योदय व्यापिनी केवल स्नान के लिए श्रेष्ठ है । अतः वट सावित्री व्रत चतुर्दशी विद्धा श्रेष्ठा शास्त्रों में कहा गया है। वट सावित्री व्रत शनिवार 24 मई को प्रारंभ हो गया है ।अतः सोमवार को ही सभी सनातनी धर्मावलंबी भक्त श्रृद्धा और विश्वास से युक्त होकर मनायें।
उक्त विचार ऊगू निवासी आचार्य ऋषि कान्त मिश्र शास्त्री जी ने समाज और सनातन संस्कृति को बचाने हेतु वक्तव्य जारी कर कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कि पंचांग शास्त्रीय विचारों को न समझ कर मन गढ़न्त कुविचार फैला कर समाज को दिग्भ्रमित कर रहे हैं । उनसे सावधान रहें । क्योंकि कहा गया है कि अल्प विद्या भयंकरी। इसलिए सभी सनातनी धर्मावलंबी भक्त शास्त्र सम्मत ही व्रत पर्व किया करें।


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