देशभर में फर्जी सिम कार्ड गोरखधंधे का भंडाफोड़: यूपी के 9 डीलर चिह्नित, उन्नाव का ‘अमित टेलीकॉम’ भी जांच के घेरे में

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उन्नाव।डिजिटल सुरक्षा पर मंडरा रहे खतरे को लेकर सीबीआई ने देशव्यापी एक्शन में फर्जी सिम कार्ड जारी करने वाले नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा देश के 39 टेलीकॉम डीलरों (पॉइंट ऑफ सेल) के ठिकानों पर की गई छापेमारी में उत्तर प्रदेश के 9 डीलर भी शिकंजे में आए हैं, जिनमें उन्नाव जिले का ‘अमित टेलीकॉम’ भी शामिल है।
कैसे चल रहा था ये फर्जीवाड़ा?
सीबीआई के अनुसार, इन डीलरों ने फर्जी पहचान पत्र और एड्रेस प्रूफ का इस्तेमाल कर हजारों सिम कार्ड एक्टिवेट किए, जिन्हें फिर साइबर ठगों को बेचा गया। इन सिम कार्ड्स का उपयोग UPI फ्रॉड, निवेश घोटाले, फर्जी विज्ञापन, डिजिटल ब्लैकमेलिंग और जासूसी जैसे गंभीर अपराधों में किया जा रहा था।
इन अपराधियों को फर्जी सिम कार्ड के जरिए अपनी पहचान छिपाने और पकड़ से बचने में आसानी हो रही थी। कुछ मामलों में विदेश से ऑपरेट हो रहे कॉल सेंटर भी इस नेटवर्क से जुड़े पाए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के इन जिलों में CBI की छापेमारी:
लखनऊ: अदिति मोबाइल रिपेयरिंग – मनोज कुमार वर्मा
उन्नाव: अमित टेलीकॉम – आशीष
आगरा: दीपक कम्युनिकेशन – दीपक माहौर
हरदोई: अंकित टेलीकॉम – अंकित कुमार व बंशीधर
हाथरस: न्यू सुजाता मोबाइल – धारा सिंह, राजीव सागर, मुकेश कुमार
कन्नौज: तिवारी किराना स्टोर – सत्यम तिवारी
राष्ट्रीय स्तर पर फैला नेटवर्क
सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया कि मात्र उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, बिहार, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी ऐसे ही फर्जी डीलिंग के नेटवर्क सक्रिय हैं।
एजेंसी इस नेटवर्क के डिजिटल और फाइनेंशियल लिंक की जांच में जुटी है। सूत्रों के अनुसार, कुछ सिम का इस्तेमाल टेरर लिंक या संवेदनशील राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में भी हुआ हो सकता है, जिसे लेकर एनआईए और अन्य एजेंसियों को भी सतर्क किया गया है।
सवाल उठते हैं: क्या मोबाइल कंपनियों के केवाईसी सिस्टम में खामियां हैं?क्या लोकल डीलरों को बेनामी सिम बेचने के लिए कोई बड़े नेटवर्क से फंडिंग मिल रही है?
क्या प्रशासनिक लापरवाही डिजिटल फ्रॉड को खुला मैदान दे रही है?
यह मामला केवल साइबर अपराध तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया की बुनियादी सुरक्षा को गहरा सवाल खड़ा करता है। अब समय है जब तकनीकी निगरानी के साथ-साथ ज़मीनी स्तर पर ज़िम्मेदारी तय हो।


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