चाहे जो हो सरकार फैल रहा है भ्रष्टाचार,हम कैसे माने स्वच्छ प्रशासन जब पैसा मांगे थानेदार

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उन्नाव।विकास खण्ड सफीपुर के मिर्जापुर ( नियामतपुर) गांव में चंद्रशेखर आजाद साहित्यिक सेवा संस्थान द्वारा आयोजित भव्य एवम दिव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमे हिंदी साहित्य सृजन में लगे प्रदेश के कई जनपद से आए वाणी पुत्रो ने सामाजिक एवम राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कविताएं सुनाकर देर रात तक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर झूमने को विवश किया।विगत बारह वर्षों से निरंतर इस ग्राम में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद साहित्यिक सेवा संस्थान के तत्वाधान में गांव के ही उदीयमान कवि उदीयमान कवि डॉक्टर प्रमोद कुशवाहा के संयोजन से ग्रामीण परिवेश मे आयोजित होने वाला यह कवि सम्मेलन नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है। कवि सम्मेलन मे आसपास के कई गांवों सहित एवम पड़ोसी जनपद से भी श्रोता कविताएं सुनने आते है।लखनऊ से पधारी कवियत्री वन्दना ओजल की वाणी वन्दना से शुरू कवि सम्मेलन का संचालन बाराबंकी से आए कवि संजय सांवरा एवम सेवानिवृत शिक्षक दिवाकर द्विवेदी की अध्यक्षता में ओज के कवि अनिल यादव ” अनिकेत ” हरदोई ने पढ़ा “वंदन भारत मातु का सत्ती नवाऊ शीश, यही जन्म देना मुझे बार बार जगदीश” लखीमपुर खीरी से आई कवियत्री कृति श्रीवास्तव नें पढ़ा “है जनक की तपस्या का फल जानकी,राम की शक्तियों का बल जानकी,शोक देखा धैर्य धर न सकी ऐसी सच्ची सरल वा सबल जानकी”ओज कवि के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ रहे कवि प्रमोद कुशवाहा ने “भारत की आन, बान, शान हेतु हर घर गुलाब सिंह लोधी जैसा लाल होना चाहिए,क्रांतिकारियों का ऋण सर पर रहेगा सदा, इस बात का सदैव ख्याल होना चाहिए” हर्षित श्रीवास्तव ” अंकुर” ने पढ़ा “दिल का संकून आंखों से निंदिया चली गई, जब से गए हो तुम मेरी खुशियां चली गई” रायबरेली से आए हास्य कवि रामकिशोर मस्ताना “सांड” ने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए पढ़ा ” स्वर व्यंजन का ज्ञान नही ,इन सबसे अनजाना हूं, मैं विशेष सांडो का कवि हूं नाम से मस्ताना हूं ” जैसी हास्य रचनाएं पढ़कर लोगो को खूब गुदगुदाया। रायबरेली के ही संदीप “शरारती” की वर्तमान परिवेश में पतियों की व्यथा पढ़ते हुए कहा ” शेर, बाघ,चीता,भालू वन बिज्जू,बिच्छू से ज्यादा हमको घर में रखे नीले ड्रम से ज्यादा डर लगता है “संडीला हरदोई से आए रामेंद्र सिंह “राज ” भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार करते हुए पढ़ा ” चाहे जो हो सरकार फैल रहा है भ्रष्टाचार,हम कैसे माने स्वच्छ प्रशासन जब पैसा मांगे थानेदार ” खूब सराही गई हरदोई से आए कमलेश सोनी ने ” भूल जाना सब लेकिन भूलना न मेरी बात जन्मदायिनी को जिंदगी में न भूलना,दूध वाले कर्ज को उतार न सकोगे मित्र धन के घमंड में कभी मत भूलना” जैसी पंक्तियां पढ़कर युवा पीढ़ी को मां के प्रति युवाओं को कर्तव्य बोध कराया। लखीम पुर के कवि संदीप कटियार ने ” न तन के लिए न धन के लिए,न जमी के लिए न गगन के लिए ,बुजुर्गी हम को बस इतनी दुआ देना जब मरू तो वतन के लिए” शिवराज सागर ” उन्नावी” ने “बाबा जी की ठोक नीति हमे पसंद है,वो भी बे रोंक टोक नीति हमे पसंद है,न जेल,न बेल न चूहे बिल्ली का खेल,सीधे गोली झोंक नीति हमे पसंद है।कवि सम्मेलन में वाणी पुत्रो ने करुण,व्यंग्य, हास्य,वीर,श्रंगार की अनेकानेक रचनाएं सुनाकर श्रोताओं के दिल को छुआ।ग्राम प्रधान प्रतिनिधि संतोष विश्वकर्मा ने सभी आगत वाणी पुत्रो का माल्यार्पण करते हुए अंगवस्त्र भेंटकर अभिनंदन किया।

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