फतेहपुर।शहर क्षेत्र मुराइन टोला स्थित, नाले के समीप, हर साल की तरह इस बार भी एक शानदार इफ्तार का एहतेमाम किया गया, जहां 26वें रोज़े के मौके पर राहगीरों और रोज़ेदारों को मोहब्बत-ए-शरबत और रूह अफ़ज़ा की लस्सी से इफ्तार कराया गया। ये मंजर अपनी मिसाल आप था, जहां बड़ी मोहब्बत और अकीदत के साथ रोज़ेदारों की तवाज़ो की गई।
“मगर ये सिर्फ इफ्तार तक ही महदूद नहीं था, बल्कि 27वीं की शबे-क़द्र की शहरी तक का भी बेहतरीन इंतज़ाम किया गया, ताकि रोज़ेदार पूरे इत्मीनान और सुकून के साथ अपनी इबादतों में मशगूल रह सकें।”
“यह इफ्तार सिर्फ एक मज़हब तक महदूद नहीं था, बल्कि इसमें हर धर्म और तबके के लोगों को मोहब्बत से शरीक किया गया। चाहे हिंदू हों, सिख हों, ईसाई हों या मुसलमान—हर किसी को बराबर शरबत और लस्सी से तवाज़ो की गई। यह सिर्फ एक इफ्तार नहीं था, बल्कि इंसानियत, भाईचारे और आपसी मोहब्बत की एक खूबसूरत मिसाल थी।”
“इस पुरनूर तंजीम और खिदमत-ए-इफ्तार को अंजाम देने वालों में फतेहपुर के बाशिंदों का जज़्बा काबिल-ए-तारीफ़ रहा। इस नेक अमल को मुकम्मल करने में जो लोग शामिल रहे, उनके नाम कुछ यूँ हैं:
📌 संयोजक: कल्लू राईन
📌 शरीक-ए-खिदमत: सेराज फल वाले, जीशान राईन, आसिफ राईन, उमर राईन, इरफान राईन, आज़म राईन, हसनैन राईन, अता वारिस, अनस राईन, अब्दुल कुद्दूस कानपुरी, नफीस राईन, कैफ राईन, शोएब इब्राहिम, आदिल अंसारी, मामा अंसारी, साजिद अंसारी, और सनी राईन।
“इन तमाम अफराद ने बड़ी अकीदत और चाहत के साथ इस कार-ए-ख़ैर को मुकम्मल किया, ताकि रोज़ेदारों और राहगीरों को सहूलत और राहत हासिल हो सके।”
“ऐसे ही नेक कामों से रमज़ान का असल मक़सद पूरा होता है – मोहब्बत, इंसानियत और इबादत। यह सिर्फ एक इफ्तार नहीं, बल्कि एक पैग़ाम था कि इंसानियत हर मज़हब से ऊपर है। फतेहपुर की ये मिसाल बताती है कि जब दिलों में जज़्बा होता है, तो इख़लास से हर नेकी अंजाम तक पहुँचती है।”
*फ़तेहपुर से अजहर उद्दीन की ख़ास रिपोर्ट*