सनातन परंपरा में हर स्त्री देवी स्वरूपा और साक्षात भक्ति का स्वरुप है

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उन्नाव।बांगरमऊ क्षेत्र के ग्राम गौरिया कलां में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा के प्रथम दिवस गुरुवार को वृंदावन के विख्यात कथा वाचक आचार्य रामदेव तिवारी ने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के महात्म्य का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि पुत्र और पुत्री में भेद करना ईश्वर की उपेक्षा करना है ।

सुभाष इंटर कालेज बांगरमऊ के पूर्व प्रधानाचार्य प्रताप सिंह द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यास आचार्य तिवारी ने कहा कि सनातन परंपरा में हर स्त्री देवी स्वरूपा और साक्षात भक्ति का स्वरुप है। आज कल नवरात्र के अवसर पर कन्या पूजन व भोज के लिए अधिकतर मानव व्रत कन्या पूजन के पश्चात ही पूर्ण मानते है। किंतु कन्या ढूंढे से भी नहीं मिल रही हैं। क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति अपनाने वाले लोग देवी स्वरूपा कन्या को तो भ्रूणहत्या कर पृथ्वी पर आने ही नहीं देते हैं। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को आगाह किया कि पुत्री रूपी देवी और पुत्र रत्न में भेद करना छोड़ दें। जब घर की स्त्रियां अर्थात कन्या रूपी भक्ति स्वरूपा देवी प्रसन्न होंगी, तभी देवता भी सहायता करेंगे । कथा के पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई। यात्रा में संगीत आचार्य कौशल शर्मा , सहायक आचार्य श्रवण कुमार मिश्र, शिवानंद मिश्र, शुभम् दीक्षित, आदर्श शर्मा, शिवम् शर्मा व अभिषेक द्विवेदी आदि सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।


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