हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की जयंती के अवसर आयोजित किया गया कवि सम्मेलन

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सरसौल,कानपुर।ऑक्सफोर्ड मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूलमहाराजपुर में हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की जयंती के अवसर पर बाल्मीकि के जाप से, निकला ये परिणाम। श्रद्धा होनी चाहिए, मरा कहो या राम।। चाहे वो आशीष दें, चाहे मारे बाण। रघुनंदन के हाथ से, होता है कल्याण….”सुप्रसिद्ध शायर व कवि अंसार क़म्बरी द्वारा प्रस्तुत पंक्तियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हास्य कलाकार व पूर्व अध्यक्ष फिल्म विकास परिषद उत्तर प्रदेश राजू श्रीवास्तव की जयंती के अवसर आयोजित कवि सम्मेलन को राममय कर दिया।इस अवसर पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विधान परिषद के पूर्व सदस्य वरिष्ठ भाजपा नेता लाल सिंह तोमर ने राजू श्रीवास्तव की श्रीवास्तव की स्मृतियों को याद करते हुए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हास्य कलाकार के साथ कानपुर का गौरव बताते हुए कहा कि लोकप्रिय कॉमेडियन व कई फिल्मों में काम करने वाले राजू श्रीवास्तव देश की शान के साथ कानपुर के गौरव थे। राजू श्रीवास्तव का असायायिक निधन निश्चित ही दुखदाई है।

शिक्षक वेद त्रिपाठी ने राजू श्रीवास्तव की स्मृतियों को साझा करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलित, सरस्वती पूजन व राजू श्रीवास्तव के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि से हुई। इस दौरान राजू श्रीवास्तव की पत्नी शिखा राजू श्रीवास्तव ने परिजनों व गणमान्य लोगों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

तत्पश्चात आयोजित कवि सम्मेलन में आगरा से आए कवि ऐलेश अवस्थी ने पंक्तियों के माध्यम राजू को याद करते हुए कविता पढ़ी कि “राजू था जिसका नाम भुलाकर चला गया,हमें कहकहों झूले झुलाकर चला गया,हम याद करेंगे उसे हर गीत गजल में,सबको हंसाने वाला रुला कर चला गया”।


इसी तरह कवि पवन प्रताप सिंह”सबरस”ने राजू श्रीवास्तव को समर्पित कविता पढ़ी कि” राजू श्रीवास्तव भूलना तो चाहा,लेकिन भुला न पाए,जन्मोत्सव है तुम्हारा ,तुम ही नजर न आए…”।
कवि मुकेश श्रीवास्तव ने पढ़ा कि “खींच लै आता है एक पल में सदी का रुतबा,उम्र कब आदमी कामों से बड़ा होता है”।

शायर अंसार कंबरी ने हिंदू मुस्लिम की एकता पर बाल देते हुए पढ़ा की “बाल्मीकि के जाप से, निकला ये परिणाम। श्रृद्धा होनी चाहिए, मरा कहो या राम।। चाहे वो आशीष दें, चाहे मारे बाण। रघुनंदन के हाथ से, होता है कल्याण।। शायर हूं कोई ताज़ा ग़ज़ल सोच रहा हूं, फुटपाथ पे बैठा हूं महल सोच रहा हूं। मंदिर में नमाज़ी हो तो मस्जिद में पुजारी, हो किस तरह ये फेरबदल सोच रहा हूं।”
कवि आदित्य विक्रम की पंक्तियां ससुराल मायके में खटपट सी चल रही है,मम्मी से रोज बात हमसे मत पूछो,कविता सुना के वो जो महफिल लूटता है,चोरी के ख्यालात ,हमसे मत पूछो”खूब सराही गईं।
कवयित्री चांदनी पांडेय ने पढ़ा कि हमें बर्बादियों पे मुस्कुराना खूब आता है,अंधेरी रात में दीपक जलाना खूब आता है,गलत फहमी तुम्हे कुछ और आता हो न आता हो, अचानक आग में पानी लगाना खूब आता है”।

कार्यक्रम के आयोजक सत्यार्थ विक्रम व रोहित तोमर व आलोक शर्मा ने अतिथियों का स्वागत किया।

श्रद्धांजली व कवि सम्मेलन में राजू श्रीवास्तव के परिजनों के साथ ब्लाक प्रमुख डा विजय रत्ना तोमर,सुरेंद्र अवस्थी,विनय मिश्रा,सुदीप शिवहरे,वंदना निगम,एन के श्रीवास्तव,राजेश श्रीवास्तव,सर्वेश श्रीवास्तव, शिक्षक व क्षेत्रीय गणमान्य लोग मौजूद रहे।

देखे वीडियो।

 


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