मोक्ष दिलाती है श्रीमद्भागवत कथा… राम शरण शास्त्री जी महाराज द्वारा धुंधकारी और राजा परीक्षित की कथा का दिया गया ज्ञान

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उन्नाव।इब्राहिम बाग स्थित भगवान चित्रगुप्त धाम में सनातन परिवार सत्संग सेवा समिति, वृंदावन के सहयोग से कायस्थ वेलफेयर सोसाइटी और मुख्य यजमान डॉ संजय मिश्रा, संयोजक पवन निगम द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महायज्ञ के दूसरे दिन कल गुरुवार को सुविख्यात कथा प्रवक्ता श्रीधाम वृन्दावन के पूज्य संत श्री राम शरण शास्त्री जी महाराज ने बताया धुंधकारी, आत्मदेव और धुंधुली के बेटे थे। धुंधकारी दुराचारी और दुष्ट था, जबकि उसका भाई गोकर्ण ज्ञानी और पंडित था। धुंधकारी ने अपने जीवन में कई दुष्कर्म किए। उसने अपनी मां को मार डाला और पिता की सारी संपत्ति नष्ट कर दी। धुंधकारी के दुष्कर्मों के कारण उसे कष्टदायी मृत्यु मिली और वह प्रेत बन गया। धुंधकारी के भाई गोकर्ण ने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए सूर्य भगवान के बताए सूत्र पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। धुंधकारी को भागवत कथा सुनने के बाद प्रेत योनि से मुक्ति मिली। इस कहानी से यह सीख मिलती है कि कर्म, धर्म मनुष्य को संयमित और वेद रीति नीति से करना चाहिए। धुंधकारी की मां धुंधुली ने अपने बहन के कहने पर आत्मदेव का फल अपनी गाय को खिला दिया था। गाय को एक मनुष्याकार बच्चा हुआ, जिसके कान गाय के समान होने के कारण उसका नाम गोकर्ण रखा गया। इसके बाद महाराजश्री ने बताया राजा परीक्षित को भागवत कथा शुकदेव जी ने सुनाई थी। शुकदेव जी, वेदव्यास जी के पुत्र थे। शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत कथा शुक्रताल में सुनाई थी। आज भी शुक्रताल में वही वटवृक्ष है जिसके नीचे शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सात दिनों तक सुनाई थी। कथा सुनने के बाद राजा परीक्षित का मृत्यु का भय दूर हो गया था। राजा परीक्षित को शमिका ऋषि के पुत्र ने श्राप दिया था कि सात दिनों के भीतर तक्षक सर्प के काटने से उनकी मृत्यु हो जाएगी। ऋषि शमिका ने राजा परीक्षित को ऋषि शुक से मिलने और अगले सात दिनों के लिए ‘भागवतम’ सुनने का सुझाव दिया था। कई पौराणिक संस्मरणों के साथ महाराजश्री ने धर्म ज्ञान वैराग्य का सजीव चित्रण किया।

कथा प्रारंभ और समापन आरती में मुख्य यजमान डॉ संजय मिश्रा व उनका परिवार, मुख्य संयोजक पवन निगम, आशीष निगम व उनका परिवार, संरक्षकों नीरज निगम, सौरभ श्रीवास्तव, डॉ प्रभात सिन्हा, विमल द्विवेदी, वेंकट मिश्रा, प्रशांत दीक्षित, अरविंद श्रीवास्तव, कौशल किशोर यादव, वीरेंद्र सिंह, अशोक रस्तोगी, डॉ मनीष सेंगर, राहुल कश्यप, अभिषेक शुक्ला, मनीष गुप्ता, बबलू शर्मा, बबली मिश्रा, रश्मि निगम, ममता द्विवेदी, शोभा पाण्डेय, नीलम त्रिपाठी आदि सहित मुख्य सेवायत कृष्णप्रिय मोती श्याम जी ने भाग लिया। महाराजश्री के सचिव आचार्य शिवम मिश्र ने उन्नाव वासियों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में सपरिवार मोक्षदायिनी कथा का श्रवण करने का आवाहन किया।


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