उन्नाव।सनातन परंपरा/संस्कृति में नवरात्र काल को विशेष पवित्र समय माना गया है। यह समय एक विशेष ऊर्जा का समय होता है। इस समय की हुई साधनाओं से भक्त गण आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
यह बताते हुए आचार्य अबिंद कुमार शास्त्री नें कहा कि पवित्र नवरात्र के समय में सौरमंडल में ग्रह- नक्षत्र- निहारिकाओं कें कुछ विशेष संयोग बनतें है। और इस समय के दौरान किए गए जप- तप- साधना-अनुष्ठान- व्रत- उपवास- दान- पुण्य इत्यादि के कई गुना शुभ व सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होतें है।उन्होंने कहा कि इस समय के दौरान आपका आहार- विहार जितना पवित्र होगा उतना ही आपका मन भी पवित्र होता जाएगा और आपके द्वारा किए हुए जप- तप- अनुष्ठान का आपको कई हजार गुना शुभ फल प्राप्त होंगे,आपकी साधनाएं सफल व सिद्ध होगी।उन्होंने भक्तों से अपील की कि नवरात्र के दिनों में शुद्धता व पवित्रता का पूरा ध्यान रखें। काम क्रोध, मद, लोभ, अहंकार जैसे विजातीय तत्वों से दूर है।नवरात्रि के दिनों में सात्विक भोजन व पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। कम बोले, मौन व्रत का पालन ज्यादा से ज्यादा करें, अनर्गल वार्तालाप से बचें/जप व स्वाध्याय में ज्यादा समय बिताएं।अगर आप नवरात्र का व्रत रखते हैं तो बहुत अच्छी बात है, आप नियम के साथ व्रत रखिए। अगर आप व्रत नहीं रख पा रहे हैं तो आप विधिवत पूजा भी कर सकते हैं। अगर आपका स्वास्थ्य आपका साथ दे रहा है तभी आप व्रत रखें/ लेकिन इस समय केवल सात्विक व घर का भोजन ही करें।नवरात्री में देवी दुर्गा को तुलसी या दूर्वा घास अर्पित न करें इस बात का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए।नवरात्र पूजन में प्रयोग में लाए जाने वाले रोली या कुमकुम से पूजन स्थल के दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक बनाया जाना शुभ रहता है।नवरात्र के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पाठ के साथ कवच, कीलक अर्गला का पाठ भी करना चाहिए। अगर 1 से 13 अध्याय का पाठ हर दिन नहीं तो हर दिन एक-एक चरित्र का पाठ करें। सप्तशती को 3 चरित्र में बांटा गया है प्रथम, मध्यमा और उत्तम।नवरात्र के दिनों में हो सके तो प्रतिदिन ज्योति लें या छोटा हवन करें। क्योंकि यह मां को अति प्रिय है।घर में कुछ उपलब्ध वस्तुओं से भी हवन किया जा सकता है जैसे-: लौंग , इलायची, किसमिस, काजू, छुआरा, नारीयल का बुरादा ( चिटकी), जौ, इत्यादि जो भी उपलब्ध हो।हवन या ज्योत में गाय का शुद्ध देसी घी का ही प्रयोग करें/शुद्ध तिल्ली का तेल भी काम में ले सकते है।श्री शास्त्री नें बताया कि नवरात्र में नौ कन्याओं को भोजन कराएं। नौ कन्याओं को नवदुर्गा मानकर पूजन करें। बेहतर होगा कि नियमित एक कन्या को भोजन कराएं और अंतिम दिन भोजन के बाद उस कन्या को वस्त्र, फल, श्रृंगार सामग्री देकर विदा करें।नवरात्र के भोग में मां दुर्गा को रोजाना फल/ फूलअर्पित करें। इन फलों को भोग लगाने के बाद आप परिवार के लोग ग्रहण कर सकते हैं।नवरात्रि का समय एक ऐसी दिव्य ऊर्जा का काल है जिसमें आप अपने ईष्ट की साधना करके अपने अंदर दिव्यता और सकारात्मकता ला सकते हैं।