प्रेम में भगवान ने राजसी भोज छोड़कर भक्त के घर खाई साग रोटी

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उन्नाव।भगवान भाव के भूखे है भक्त ने भक्ति में भगवान को जब जिस रूप में चाहा है प्राप्त किया।भक्त के प्रेम में भगवान ने राजसी भोज छोड़ भक्त के घर साग रोटी खाई है।उक्त बातें कस्बा फतेहपुर चौरासी के मोहल्ला गांधीनगर में चल रही श्री मद्भागवत कथा के दूसरे दिन क्था वाचक मां भुवनेश्वरी पीठ के पीठाधीश्वर नीरज स्वरूप ब्रह्मचारी ने विदुर की भक्ति एवं कर्दम ऋषि का चरित्र सुनाते हुए कही।उन्होंने कहा कि भगवान भक्त के प्रेम और भाव के भूखे है।मानव ने अपनी भक्ति से उन्हे जब जिस रूप में चाहा प्राप्त किया।विदुर की भक्ति की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान ने दुर्योधन के घर राजसी भोजन एवं मालपुआ का परित्याग कर भक्ति के वशीभूत होकर विदुर के घर साग रोटी तथा केले के छिलके खाकर भक्ति का मान रखा।उन्होंने कहा कि कलिकाल में भगवान की भक्ति ही मानव जीवन के उद्धार का सरल साधन है।कलियुग में मानव केवल हरी नाम स्मरण मात्र से भगवत कृपा प्राप्त कर सकता है।कथा के द्वितीय दिवस आचार्य अरविंद द्विवेदी एवं नैमिश निवासी आचार्य स्वतन्त्र मिश्र ने वैदिक मंत्रोचार से पूजन कार्य संपन्न कराया।

इस दौरान परीक्षित संतकुमार त्रिवेदी, पण्डित चंद्रप्रकाश,मुन्ना त्रिवेदी,बबलू त्रिवेदी,रजनीश त्रिवेदी,मनाली,आलोक,पवन पांडे,संतोष,लकी,रजनीश,सचिन,अवनीश कुमार,मधुर त्रिवेदी,अंकित, सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं मौजूद रहे।


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