राणी सती दादी मन्दिर में चल रही पंच दिवसीय श्री भक्तमाल कथा का हुआ आयोजन

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कानपुर। रावतपुर स्थित मंदिर में श्री धाम वृन्दावन से पधारे परम पूज्य श्री गौरदास जी महाराज ने राणी सती दादी मन्दिर में चल रही पंच दिवसीय श्री भक्तमाल कथा में भक्तराज श्री नरसी जी के पावन चरित्र में द्वितीय दिवस में नरसी जी की बेटी के विवाह लीला प्रसंग को श्रवण करवाया। इसी बेटी का भात भरने के लिए नरसी जी कल जाएँगे। इसके पश्चात कथा का निरूपण करते हुए पूज्य महाराज श्री ने नरसी जी की श्राद्ध लीला का वर्णन किया। कैसे भगवान ने नरसी जी के माता पिता के श्राद्ध में पूरे गाँव के ब्राह्मणों को नरसी जी का वेश बना छप्पन भोग जीमा कर दक्षिणा से प्रसन्न करके फिर नरसी जी पत्नी के जो आभूषण श्राद्ध के भोजन के लिए गिरवी रखे थे वो छुटवा कर उनकी पत्नी को पहना कर भगवान अंतर्ध्यान हो गये। तब नरसी जी घी लेने के लिए गाँव गये हुए थे। और देखते है की कौन लीला कर गये तब पति पत्नी बहुत व्याकुल हो गये तब नरसी जी को समझने में देर नहीं लगी की मेरे प्रभु ने ही ये सारी लीला की है और फिर दोनों भजन करने लगे। ऐसे प्रभु ने नरसी जी की लाज बचाई ख़ुद नरसी जी बन कर भगवान नरसी जी के श्राद्ध की लीला कर गये। इस अवसर पर पूज्य महाराज जी ने भजन गया “देखो नरसी बन गये आज सखी नरसी के प्यारे” 14 जुलाई रविवार को नरसी जी के भात की लीला महाराज जी के द्वारा श्रवण करवाई जाएगी।

श्री राणी सती दादी मंदिर में चल रही कथा में मनीष,मयंक,विजय, सुनील,आयुष,मीतू,गीतू,अलका जी अग्रवाल और समस्त अग्रवाल परिवार के सहित शहर के असंख्य प्रेमी श्रद्धालु भक्तों ने बहुत ही आनन्द पूर्वक कथा का रसास्वादन किया।


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