सज्जादा नशी का हुआ इंतकाल किए गए सुपुर्दे खाक

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उन्नाव।बांगरमऊ क्षेत्र के ग्राम शीतलगंज में स्थित चिश्तिया सिलसिले की मशहूर दरगाह खानकाहे हबीबिया के सज्जादा नशीं व मशहूर प्रसिद्ध बुजुर्ग हजरत सिबगतउल्लाह शाह उर्फ मुन्ने मियां साहब के मंगलवार को भोर पहर इंतकाल (विसाल) के बाद आज बुधवार की सुबह बाद नमाजे फजर ग़ुस्ल के बाद गांव का गस्त हुआ उसके बाद सुबह 9 बजे उनके जनाजे की नमाज दरगाह में पढ़ाई गई। फिर दरगाह के अंदर उनके वालिद हजरत मोहम्मद रहमतुल्लाह शाह अलैह की मजार के बगल में ही उनको रखा गया।
मालूम हो कि चिश्तिया सिलसिले की मशहूर दरगाह खानकाहे हबीबिया के सज्जादा नशीं व मशहूर विद्वान बुजुर्ग हजरत सिबगतुल्लाह शाह उर्फ मुन्ने मियां साहब कई भाषाओं (ज़ुबानों) के अच्छे जानकार थे। उनकी काबिलियत, बुज़ुर्गी व सादगी के चर्चे दूर-दूर तक थे। उन्होंने हमेशा राजनीति (सियासत) से परहेज किया, लेकिन कभी खानकाह पर सियासी लोगों के आने पर एतराज नहीं किया। उन्होंने परिवार के लोगों को भी सियासत से दूर रहने की हिदायत भी दी थी। हजरत मुन्ने मियां साहब ने हमेशा कौम की तालीम और भलाई के लिए काम किया। आपकी कोशिशों से ही शीतलगंज में मदरसा अरबिया हबीबुल उलूम की स्थापना काफी समय पहले हुई थी। और मदरसे की मान्यता 1996- 97 में मदरसा बोर्ड से मिली थी। आपकी काबिलियत, बुजुर्गी और सादगी से प्रभावित होकर काफी बड़ी तादाद में लोग आपके मुरीद थे। आपके चाहने वालों में हर मजहब (धर्म) के लोग हैं। आपकी खासियत यह रही कि आप अपने-पराए से ऊपर उठकर सबके लिए मोहब्बत बांटी। अपने बुजुर्गों के बताए रास्ते पर चलकर पूरी जिंदगी इबादत और सादगी के साथ गुजारी। आपने हमेशा लोगों को यही तालीम दी कि वह एक-दूसरे से प्यार मोहब्बत से रहें। इसी खासियत की वजह से खानकाहे हबीबिया की पहचान देश भर में है। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके जनाजे की नमाज में उमड़ा भारी जन सैलाब देखकर हर आदमी उनकी तारीफ कर रहा था और सभी मुरीदों और अकीदतमंदों की आंखों में आंसू थे। इस मौके पर गांव क्षेत्र के अलावा काफी दूर-दूर से लोग भारी तादाद में आए थे इसके साथ ही कई दरगाहों व खानकाहों के सज्जादा नशीं भी मौजूद रहे।

फोटों, नव हिन्दुस्तान पत्रिका

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