हरिशंकर शर्मा कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज से सम्बंद्ध लाला लाजपत राय चिकित्सालय (हैलट) में (कुशिन सिंड्रोम) हार्मोन्स से पीडित् एक 28 वषीर्य युवती के गुर्दे के ऊपरी हिस्से में हुए ट्यूमर का सफल आपरेशन कर युवती की जान बचायी। वही प्राचार्य प्रो. डा. संजय काला ने बताया कि यह आपरेशन बहुत ही रियर केस में आता है जिसका उपचार एसजीपीजीआई या एम्स में हम लोग रिफर करते थ,लेकिन अबकि बार इस जटिलता को एक चुनौती मान कर युवती की जांच करवा कर उसका सफल आपरेशन किया गया। युवती पूर्ण रूप से स्वस्थ्य है।
मेडिसन के विभाग के डा0 शिवेन्द्र वर्मा ने बताया कि पिछले एक वर्ष से एक युवती वजन बढ़ने, कमजोरी, उठने बैठने में दिक्कत का होना , शरीर में बैंगनी रंग के चकत्थे पडना, महावारी की समस्यस और बढे बीपी, शुगर की समस्या के साथ उनके पास पिछेल माह ओपीडी में दिखाने पहुंची जहां डा0 शिवेन्द्र वर्मा ने युवती की जब जांच करवायी तो जानारी हुई कि उसका कार्टिशॉल लेबल काफी बढ़ा हुआ है जिसके चलते युवती के गुर्दे की दोनो तरफ की ग्रन्थी होती है जिसमें मटर के दाने के बराबर गांठ हो गई थी जो कि बढ़ते समय के साथ यह 10 से 20 गुना में परिवर्तित हो गई थी साथ ही पोटेशियम भी बहुत कम हो गया था। उन्होंने बताया कि पीट्यूट्री ग्रन्थी से एटीसीएच नामक हार्मोन्स बनता है जो कि बढ़ने से कार्टिशॉल निकलता है जो कि ट्यूमर बढ़ने का प्रमुख कारण है। उन्होंने बताया कि एड्रिनल ग्रन्थि निम्न स्तर पर था और एमआरआई ब्रेन भी नार्मल था। उसके बाद पेट का सीटी स्कैन कराया गया जिससे दायी तरफ की ग्रन्थि बडी पायी गई। सभी जांचे पूरी होने के बाद मरीज को सर्जरी रिफर कर दिया गया जहां प्राचार्य प्रो. डा. संजय काला और उनकी टीम ने इसे चुनौती मान कर उसका आपरेशन किया जो कि डेढ घंटे तक चला और सफलतापूर्वक ट्यमर को वहां से हटा दिया गया। डा. शिवेन्द्र वर्मा ने बताया कि यह एक लाख में किसी एक को होता है और बहुत ही जटिलता पैदा कर देता है। यह गांड लगभग 2 सेमी की थी जिसको आपरेशन कर निकाला गया। इस सर्जरी को करने वाली टीम में डा. आर के, जौहरी, डा. धु्रव गैस्टोलाजिस्ट, डा0 कुश पाठक ऑनकियोलाजिस्ट (कैंसर सर्जन) व डा. अनुराग सिंह रहे। वही प्राचार्य प्रो. डा. संजय काला ने बताया कि मरीज का ट्यूमर बहुत ही रियेर था। हांलकि ऐसे ट्यूमरो के मरीज की संख्या बहुत कम है,लेकिन ऐसे मरीजो का इलाज अभी तक कानपुर के हैल्ट अस्पताल में नही हो पाता था जिसके लिए मरीजो को पीजीआई या फिर एम्स तथा अन्य बडे अस्पतालो में भेजा जाता था, क्यो कि आपरेशन में कोई छोटी सी चूक मरीज के रक्तस्त्राव का कारण बन सकती थी और उसे बचा पाना बहुत मुश्किल हो जाता। लेकिन सर्जरी टीम ने अबकि बार मरीज का इलाज खुद करने की चुनौती लेते हुए उसे सफल बनाया साथ ही बताया कि इस तरह का पहला आपरेशन हैलट अस्पताल में किया गया। इस आपरेशन में शामिल टीम के सभी डाक्टरो को प्राचार्य डा. संजय काला ने बधाई दी। इस दौरान उप प्राचार्य डा. रिचा गिरी एवं मीडिया प्रभारी डा. सीमा द्विवेदी मौजूद रही।