भाजपा को मात देने की फ़िराक़ में लगी सपा, खोज रही है जिताऊ प्रत्याशी

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फतेहपुर।दो बार फतेहपुर लोकसभा सभा में परचम लहरा चुकी भारतीय जनता पार्टी तीसरी बार जहाँ हैट्रिक लगाने को बेताब है वही विपक्षी गठबंधन भाजपा को इस बार चित करने के लिए ताना बाना बुन रहा है किन्तु भाजपा प्रत्याशी को किस तरह रोंक पाएंगे और कौन ऐसा प्रत्याशी भाजपा को रोकने के लिए कारगर होगा जो सवर्ण मतदाताओ को लुभा पाने में सक्षम‌ होगा।फिलहाल अभी जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का नाम सबसे आगे है। नरेश उत्तम पटेल जहानाबाद विधानसभा से विधायक और प्रदेश में राज्यमंत्री रह चुके हैं।लोकसभा की चुनावी पिच पर हैट्रिक लगाने के लिए उतरीं भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी दलों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। निस्तेज पड़ी बहुजन समाज पार्टी सोच समझकर अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारना चाह रही है वहीं कांग्रेस-सपा के हुए गठबंधन के बाद समाजवादी पार्टी यहां जीत का मास्टर स्ट्रोक ढूंढ रही है। इसी का नतीजा है कि कभी सवर्ण तो कभी पिछड़े प्रत्याशी की उधेड़बुन में मजबूत प्रत्याशी उतारने की लंबी कवायद कर रही है जिससे भाजपा को विजयश्री से रोका जा सके।

गंगा-यमुना के दोआबा में बसा जिला वैसे तो कृषि प्रधान जिला है लेकिन यहां कभी औद्योगिक इकाइयों ने जिले को विकास की राह पर आगे ले जाने का भी काम किया।समय के साथ स्थितियां सुधरीं जरूर लेकिन 1989 में कांग्रेस प्रत्याशी हरिकृष्ण शास्त्री की पराजय के बाद औद्योगिक इकाइयों का भी पराभव शुरू हो गया। वैसे तो स्वतंत्रता के बाद हुए पहले आम चुनाव 1952 से लेकर 1984 तक कांग्रेस का ही दबदबा रहा लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब बहुजन समाज पार्टी का गढ़ जिला बन गया। यहां 1996 एवं 2004 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर संसद की दहलीज पार की जबकि 1998,1999,2009,2014 एवं 2019 के चुनाव में दूसरे नंबर की पार्टी रही।केंद्र में कांग्रेस गठबंधन और प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकार के बावजूद यहां 2009 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी राकेश सचान(मौजूदा भाजपा) ने शानदार जीत दर्ज की। लेकिन 2014 के हुए चुनाव में मोदी की आंधी में सपा प्रत्याशी भी अपना तख्त नहीं बचा सके हलांकि समाजवादी पार्टी का एक बड़ा वोट बैंक सदा प्रत्याशियों के साथ रहा। मौजूदा समय में पीडीए की वकालत करने वाला समाजवादी नेतृत्व भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए मंथन में लगा है।

18वीं लोकसभा के लिए यहां चुनाव पांचवें चरण में होगा और 26 अप्रैल से नामांकन की प्रक्रिया शुरू होगी।जिले के 1931895 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर नए सांसद का चुनाव करेंगे।लोकसभा चुनाव के इतिहास में अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है।इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरी शिद्दत के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है तो प्रमुख विपक्षी समाजवादी-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी के साथ-साथ बसपा प्रत्याशी की ओर निगाहें लगी हुई हैं। समाजवादी पार्टी पिछड़े एवं सवर्ण प्रत्याशी के दोराहे में फंसी है।चुनावी नैया पार करने को लेकर नेतृत्व जिले के करीब 6 लाख सवर्ण मतदाताओं के बीच एक संदेश छोड़ने का प्रयास करना चाह रही है जिससे आम लोगों तक यह संदेश न जाए कि सपा केवल पिछड़ा,दलित और मुस्लिम की बात करने वाली पार्टी है। खबर है कि भारतीय जनता पार्टी व बसपा के कई कद्दावर जिले के नेताओं से नेतृत्व की गुपचुप वार्ता भी हुई लेकिन बात बनी नहीं। जिले के जिस सवर्ण प्रत्याशी के रूप में नाम हवा में तैर रहा है वह पूर्व जिलाध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता समरजीत सिंह का है।समरजीत सिंह की बिरादरी में मजबूत पकड़ मानी जाती है और उनका स्वभाव एवं व्यक्तित्व ऐसा है जिसमें ब्राह्मण के अलावा अन्य सवर्ण जातियों को भी अपनी पाले में लाने का माद्दा है। वहीं अगर हुसैनगंज,सदर विधानसभा तथा नगरपालिका परिषद फतेहपुर के अध्यक्ष के हुए चुनाव परिणाम से नेतृत्व बेचैन हुआ तो निश्चित रूप से पिछड़े प्रत्याशी पर ही दांव लगाएगा।

चुनावी अधिसूचना के पहले तक करीब आधा दर्जन नाम भावी सांसद के रूप में चल रहे थे लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल एवं पूर्व सांसद डॉ.अशोक पटेल के बीच टिकट अब आ टिका है।वैसे जिस तरह से प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल कुछ दिनों से जिले में चहल कदमी बढ़ाए हैं उससे उनके चुनाव लड़ने की संभावनाएं भी प्रबल नजर आ रही है।अगर पीडीए फार्मूला पर नेतृत्व ने काम किया तो नरेश उत्तम पटेल या फिर डॉक्टर अशोक पटेल का टिकट तय है।पिछड़ा एवं सवर्ण कि ऊहापोह में प्रत्याशी की घोषणा की देरी के पीछे जीत का मास्टर स्ट्रोक ढूंढना ही फिलहाल माना जा रहा है। नेतृत्व प्रत्याशी घोषणा से पहले हर उस पहलू पर मजबूत होमवर्क करना चाह रहा है जिससे पीड़ीए एवं सवर्ण मतदाताओं के नफा-नुकसान का वह आंकलन कर सके।जल्द ही प्रत्याशी की घोषणा होने की उम्मीद है लेकिन लोकसभा की जीत की आस को लेकर किसी खास को चुनाव मैदान में उतारने को सपा बेताब दिख रही है।

 

*बाक्स में*

*श्रीदेवी का‌ दावा, साध्वी को मात देने में सक्षम*

फतेहपुर। पिछले लगभग 34 वर्षों से समाज सेवा से जुडी श्री देवी किसी परिचय की मोहताज नही है। समाज सेवा के साथ भारतीय राजनीति में भी उनकी सक्रियता शनैः शनैः बढती रही।वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की कद्दावर नेत्री है और उनका मानना है कि यदि इंडिया गठबंधन उन्हें फतेहपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनाता है तो भाजपा प्रत्याशी साध्वी निरंजन ज्योति को टक्कर ही नही देंगी वल्कि उन्हें जनपद से भागना पडेगा। किसी भी हालत में वह लोकसभा नही पहुँच पाएगी , यह दावा कांग्रेस नेत्री श्री देवी का है।

समाज सेविका श्रीदेवी सन् 1991 से 2002 तक महाराष्ट्र डोम्बीवली मेयर चुनाव में नगर सेविका रही। 2003 से 2013 तक महाराष्ट्र थाना सोसाइटी की अध्यक्ष रही। इसी बीच 2008 में श्रीदेवी महिला मंडल का शुभारंभ किया। इस दौरान हर गांव का गहनता से सर्वे किया और वहाँ की आम‌ जनसमस्याओं के साथ हरित क्रांति के तहत वृहद वृक्षारोपण का कार्य श्रीदेवी महिला मंडल की महिला सदस्यों के सहयोग से किया। महिला व बाल उत्पीड़न को लेकर आंदोलनरत रही। समाज सेवा के दौरान श्रीदेवी महिला मंडल की राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरान प्रेरणा संगठन की उपाध्यक्ष, ब्राम्हण समाज सेवा संघ की सचिव समग्र समाज सेवा मोर्चा उत्तर प्रदेश, चौकीदार यूनियन उत्तर प्रदेश की अध्यक्ष रह कर समाज सेवा को नए आयाम दिए। अपने पैतृक जनपद फतेहपुर में आकर गाँव गाँव का सघन सर्वे किया और अपने संगठन में एक लाख से अधिक सदस्यों को जोडा। वर्ष 2009 में कानपुर जनपद की ग्राम पंचायत कोरिया से प्रधान का चुनाव लडकर राजनीति का शुभारंभ किया। 2012 में जहानाबाद विधानसभा सभा का निर्दलीय प्रत्याशी के रुप मे चुनाव लड कर फतेहपुर जनपद में श्रीदेवी ने अपने नाम का प्रचार प्रसार किया। वर्ष 2016 में बिंदकी विधानसभा, 2014 व 2019 में फतेहपुर लोकसभा चुनाव में अपनी प्रत्याशिता दर्ज कराई और गांव गांव में सघन दौरा कर महिला शक्ति का मतदाताओं के बीच लोहा मनवाया। हालांकि पिछले 2019 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन किया और कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुनाव लड़ने की हरी झंडी भी दे दी गई और वह चुनाव प्रचार में जुट गई। ऐन वक्त पर सपा से कांग्रेस आए पू्र्व सांसद ने उनका टिकट कटवा‌ दिया। जिससे श्रीदेवी को उनके समर्थकों की जिद पर निर्दलीय लोकसभा सभा चुनाव लडना पड़ा। जिस पूर्व सपा सांसद को कांग्रेस ने टिकट‌ दिया वही मौकापरस्त निकला और कांग्रेस का दामन छोडकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम कर कानपुर देहात से भाजपा का विधायक विधायक बन कैबिनेट मंत्री बन गया।

कांग्रेस नेत्री श्रीदेवी का दावा है कि यदि उसे इंडिया गठबंधन ने अपना प्रत्याशी बनाया तो‌ निश्चित रूप से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति को धूल चटा देगी।


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