आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर दो फाइटर व एक मालवाहक एयर क्राफ्ट ने लैंड दर्जन भर लड़ाकू विमानों ने किया टच डाउन

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उन्नाव।वायु सेना के गगन शक्ति अभ्यास के तहत आज यहां बांगरमऊ में आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे स्थित हवाई पट्टी पर एक दर्जन सुखोई लड़ाकू विमान गरजते हुए निकले। इनमें दो फाइटर प्लेन और एक मालवाहक एयरक्राफ्ट ने लैंड भी किया। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद दोनों लैंड विमान रनवे पर दौड़ते हुए आसमान में विलीन हो गए।


वायु सेना के लड़ाकू विमानों का अभ्यास आज दोपहर बाद शुरू हुआ। ठीक 1:48 पर दो सुखोई विमान गर्जना करते हुए एयर स्ट्रिप के ऊपर से निकल कर चले गए। फिर 1:53 और 1:55 पर दोनों विमान पुनः लौटकर आए और हवाई पट्टी पर लैंड कर गए। बाद में दोनों फाइटर जेट एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम के निकट पार्क कर गए।इसके बाद 2:08 पर दो सुखोई जेट एयर स्ट्रिप के नजदीक से निकले और चले गए। फिर 2:13 से 2:24 तक थोड़े-थोड़े अंतराल में पांच सुखोई एयरक्राफ्ट ने रनवे के ऊपर उड़ान भरी और टचडाउन किया। फिर दहाड़ते हुए आसमान में गुम हो गए। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सी हरक्यूलिस कार्गो एयरक्राफ्ट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम के निकट लैंड किया। इस कार्गो विमान में कंट्रोल रूम और एंटी मिसाइल गन सिस्टम का सामान लोड किया जाने लगा।


अभ्यास के पूर्व एक हेलीकॉप्टर ने हवाई पट्टी के कई चक्कर लगाए। अभ्यास समाप्ति के पूर्व भी हेलीकॉप्टर एयर स्ट्रिप के आसपास मंडराता रहा। वायुसेना के अधिकारी के अनुसार पक्षियों को रनवे से भगाने के लिए ही हेलीकॉप्टर का प्रयोग किया गया।
एयर फोर्स के तकनीकी अधिकारियों द्वारा हवाई पट्टी के उत्तरी छोर संडीला मार्ग अंडरपास के निकट एयर डिफेंस सिस्टम के जरिए पायलटों से फाइटर एयर क्राफ्ट की लोकेशन, टच डाउन और उड़ान के संदर्भ में पल-पल की सूचनाओं का आदान-प्रदान करते रहे। ख़ास बात तो यह है कि आज के फाइटर जेट अभ्यास में उन्नाव और लखनऊ दोनों जिलों की सीमा पर स्थित मेमौरा एयरफोर्स स्टेशन ने अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वायुसेना अधिकारियों के अनुसार आज एयर स्ट्रिप पर स्थापित एयर डिफेंस सिस्टम का डिस्प्ले इसी मेमौरा एयरफोर्स स्टेशन के राडार से संबद्ध किया गया है।
एयर डिफेंस सिस्टम के बगल में ही एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल गन भी मुस्तैद रही और इस ताकतवर मिसाइल गन तैनात एयरफोर्स के जवान चौकन्ना होकर दुश्मन के लड़ाकू विमानों की टोह लेते रहे। यहां तक कि भारतीय एयरक्राफ्ट के पायलटों से भी ” काल साइन” नंबर पूछकर उन्हें इंट्री की अनुमति देते रहे। अधिकारियों के अनुसार उनके पास पहले से ही मौजूद काल साइन नंबर ट्रेस न होने की स्थिति में यह समझने में देर नहीं लगती हैं कि हवाई पट्टी की तरफ करीब डेढ़ हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आर रहा फाइटर जेट किसी दुश्मन देश का हो सकता है। ऐसी स्थिति में फोर्स के जवान दुश्मन के जहाज को ध्वस्त करने के लिए मिसाइल गन का ट्रिगर दबा देते हैं।एयरफोर्स के अधिकारियों ने बताया कि यदि युद्ध के दौरान देश के अंबाला, भुज, पठानकोट, बीकानेर व सूरतगढ़ आदि फारवर्ड बेस के रनवे क्षतिग्रस्त हो जाएं तो उन्हें वहां के एयरक्राफ्टों को इस एयर स्ट्रिप पर लैंडिंग कराई जा सके। इसलिए समय-समय पर यहां रिहर्सल होते रहेंगे। जिससे हवाई पट्टी की मरम्मत और रखरखाव तथा सफाई होती रहे।


एयरफोर्स द्वारा लड़ाकू विमानों के अभ्यास के मद्देनजर बीते 02 अप्रैल से 11 अप्रैल तक आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे की हवाई पट्टी को कब्जे में लेकर उड़ान वर्जित क्षेत्र घोषित कर दिया था। अधिकारियों ने बताया कि इस अवधि के दौरान इस एयर स्ट्रिप के 20 किलोमीटर की एरिया में कोई भी प्राइवेट अथवा सरकारी हवाई जहाज फटक नहीं सकता है।


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