उन्नाव।सुभाष इण्टर कॉलेज बांगरमऊ में अध्यापक रहे यशशेष बाबूलाल तिवारी एक वृत्त को निरन्तर झकझोरते प्रेरणा और मार्गदर्शन देते बार बार दिखाई देते हैं। अब वह मेरे मध्य नही है। दिनाँक 26 जनवरी 2024 को स्मृतियों का अनन्त सागर लहराते हुए विदा हो गए।
उनकी स्मृति में आयोजित एक श्रधांजली कार्यक्रम में बोलते हुए उनके साथी शिक्षक धीरेन्द्र कुमार शुक्ल नें कहा वस्तुतः वह अध्यापक समुदाय के लिए सदैव प्रेरणा श्रोत रहेंगे।ऐसे अध्यापक बहुत कम हैं जो एक साथ कई विषयों पर समान अधिकार रखते हों,बहुत रोचक बात यह है कि वह गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के विशिष्ट ज्ञाता थे वहीं दूसरी ओर संस्कृत, हिंदी,व्याकरण की गुत्थियां खोल देते थे।
तिवारी जी के द्वारा पढ़ाए गए लाखों छात्रों के हृदय में यह स्पन्दन है कि उनका जैसा मृदुभाषी किंतु अनुशासनप्रिय मर्मज्ञ मुश्किल से मिलता है। कभी कभी लगता है कि उनके अन्तर्गत तमाम शक्तियाँ अलौकिक रूप में प्राणवान थीं।वह केवल अध्यापक ही नही थे बल्कि समाज में लोगों को प्रत्येक अवसर पर सकारात्मक सहयोग करने वाले व्यक्तित्व थे। किसी दौर में यह माना जाता था कि अध्यापक ही समाज का सच्चा नायक होता है। अन्य लोग भी कम नहीं है किंतु तिवारी जी का अचानक चले जाना नश्वरता का दुखद मर्म बन कर रह गया है।
हंसी मजाक करने में भी वह अग्रणी रहते थे।कई साथी इनसे सामाजिक सम्बन्धों में मजाक के रिश्ते बनते हैं उनसे छेड़खानी वह अवश्य करते थे। छेड़खानी के बाद प्रतिक्रिया सुनकर मुस्करा देते थे।शायद कभी किसी ने उन्हें क्रोधित नहीं देखा। क्रोध पर नियंत्रण होना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।वह प्रत्येक परिस्थिति में क्रोध से परे रहकर लोक व्यवहार में मधुर बने रहते थे। अस्वस्थ होना अलग का विषय है किन्तु इस तरह अचानक चले जायेंगे ऐसा तो हमनेकभी सोचा ही नहीं था। मुझे वह बार बार याद आते है। चेष्टा करता हूं कि भूल जाऊं किन्तु भुलाए नहीं भूलते। उनकी अमिट छाप हजारों लोगों पर है।