उन्नाव।बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के ग्राम गोशा कुतुब में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस विख्यात कथावाचक आचार्य अवधेश कुमार अवस्थी ने उपदेश दिया कि परमपिता परमात्मा की शरण में जाने और उनका ध्यान-चिंतन करने से ही मानव का भवसागर पार कर पाना संभव है।
भागवताचार्य श्री अवस्थी ने श्रोता भक्तों को धुंधकारी और गोकर्ण की भावपूर्ण कथा श्रवण कराकर उन्हें राम नाम का संकीर्तन करने को मजबूर कर दिया। उन्होंने कहा कि जीव का अंतिम समय में साथ केवल धर्म देता है और मृत्यु के बाद उसके साथ उसके जीवन में किए गए पुण्य कर्म ही जाते हैं। उन्होंने गोकर्ण की कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि पुत्र की प्राप्ति के बाद सुपुत्र का आचरण धारण किया तो वह हजारों जीवों को सुख की अनुभूति कराएगा और वह पूरे कुल का उद्धार करेगा। कथावाचक ने धुंधकारी की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि उस जैसे कुपुत्र ने अपने माता-पिता को घोर दुख दिया। जिसके परिणाम स्वरूप उसने प्रेत योनि में जाकर अपार दुख भोगा। उन्होंने श्रीमद्भागवत पुराण की महिमा का बखान करते हुए कहा कि गोकर्ण जी ने अपने भाई का गया-श्राद्ध किया। तब भी उनका उद्धार नहीं हुआ। किंतु श्रीमद् भागवत ही ऐसा अनोखा और इकलौता पुराण है, जिसके श्रवण मात्र से अधम से अधम पापी का भी उद्धार हो जाता है। भागवताचार्य ने कथा के मध्यांतर में पुरातन वाद्य यंत्रों की संगत पर अपनी सुरीली धुन से कीर्तन प्रस्तुत कर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। आयोजक देवी प्रसाद पाठक, अभिषेक पाठक, आशुतोष पाठक व अखिलेश पाठक ने कथा व्यास श्री अवस्थी को माल्यार्पण एवं श्रीमद्भागवत महापुराण की आरती कर श्रोता भक्तों को प्रसाद वितरित किया।