प्रमुख संवाददाता अजहर उद्दीन खागा/फतेहपुर- । अवैध खनन कई रूपों में नजर आ रहा है। कहीं अनुमति के बाद नियमों को हासिए पर रख तो कहीं आवंटित खंड के बजाए दूसरी जगह से जमकर मौरंग खनन किया जा रहा है। घाटों पर जिसकी लाठी उसकी भैंस का खेल खुलेआम जारी है। हालत यह है कि रोक के बाद भी दर्जनों की संख्या में पोरलैंड मशीनें गरज रही हैं और अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं। क्षेत्र के बालू की खण्ड सीमा कहां है इसका जिक्र खंड में कहीं नही दर्शाया गया है। कुछ पता नहीं चलता है। ठेकेदार अपनी मनमर्जी से मौरंग खनन कर रहे हैं। अगर किसी ने विरोध के सुर उठाए तो दंबगई के आगे बोलती बंद कराने के लिए फर्जी मुकदमें दर्ज कराए जा रहे हैं। खनन व निकासी क्षेत्र अन्य जगह है, जबकि पट्टा अन्य भूमि में है। अब शिकायतें होती हैं तो पैमाइश के नाम पर ही खानापूर्ती हो जाती है। खण्ड से करोड़ों रुपये की बालू खनन होने के बाद खण्ड को पाट दिया जाता है। मौरंग का ये काला कारोबार अपनी चरम सीमा पर है। सवाल उठता है कि पट्टाधारक को नदी से खनन करने की अनुमति किसने दे दी है? क्षेत्र में जारी खदान में नदी से खनन का वीडियो वायरल हो रहा है लेकिन जिम्मेदार कान में रुई डालकर बैठे हैं। उक्त मामले में एसडीएम व डीएम से बात की गई तो किसी कारण बात नहीं हो सकी।