प्रमुख संवाददाता अजहर उद्दीन फतेहपुर। हथगाम थाना क्षेत्र के रज्जीपुर छिवलहा गांव की रहने वाली एक महिला को विश्वास में लेकर एक व्यक्ति ने उसके साथ 35 लाख रूपए की ठगी कर डाली। रूपया वापस मांगने पर धमकियां मिलने लगी। थाने से भी उसे बैरंग लौटा दिया गया जिस पर उसने न्यायालय की शरण ली। कोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए संबंधित थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज करके विवेचना किए जाने के आदेश दिए हैं।रज्जीपुर छिवलहा गांव निवासी वादी रूखसार के अधिवक्ता शफीकुल गफ्फार खां ने न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट नं. 1 में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि उनकी वादी रूखसार के संपर्क में दो वर्ष पूर्व वकील खान पुत्र शकूर खान निवासी गाजीपुर थाना गाजीपुर आया और उनका विश्वास पात्र बन गया। वकील ने मुसीबत व आवश्यकता बताते हुए उससे छह लाख रूपये की मांग की। वादी रूखसार के पास उस समय जमीन की बेंच का पैसा रखा था। विश्वास पात्र होने की वजह से रूखसार ने वकील खान को छह माह में अदा करने की बात पर माह नवंबर 2022 में छह लाख रूपये दे दिया। वकील खान धीरे-धीरे उसका पैसा अदा करने लगा। जिससे विश्वास बढ़ गया। इसी का फायदा उठाकर वकील ने उसे झांसे में लेकर मार्च 2023 में प्लाटिंग के काम में पैसा लगाकर मुनाफा कमाने का प्रस्ताव रखा। वह बातो में आ गई और उसके कहने पर उसकी मां, बाप, भाई, बहन, भतीजी व मित्रों के खाते में कुल सोलह लाख रूपये दे दिए। जब उसे कोई मुनाफा न मिला तो उसे शंका हुई और 28 अगस्त 2023 को एक अनुबंध पत्र तैयार करने के लिए कहा। जिस पर वकील खान व उसके मध्य सिविल कोर्ट में नोटरी कमिश्नर द्वारा सत्यापित एक विलेख पत्र तैयार किया गया। जिसमें वकील खान ने वाणिज्य कर विभाग द्वारा जारी एक फर्जी फर्म व जीएसटी के कागज भी दिखाए। जिस पर वह विश्वास कर अपने मिलने वाले फिरोज, असलम व अफसार एवं अन्य लोगों से भी वकील खान को पैसा दिलवाया। सभी ने भिन्न-भिन्न तिथियों में उन्नीस लाख रूपये वकील खान व उसके कहने के अनुसार लोगों के खातों व नकद दिया। पैंतीस लाख रूपये की रकम लेने के बाद वकील खान की नियत पलट गई और उसने कोई मुनाफा न दिया। जब वह कानूनी कार्रवाई को अग्रसर हुई तो वकील खान ने अपने भाई सलीम व लई के साथ उसके घर छिवलहा आया और बैंक आफ बड़ौदा शाखा पटेलनगर के खाते की चार पोस्ट डेटेड चेक दिए। जो खाते में लगाने पर बाउंस हो गई। जब उलाहना दिया तो जान से मारने की धमकी देने लगा। इसकी शिकायत थाने में की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिस पर पीड़िता वादी को कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। वरिष्ठ अधिवक्ता की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए विद्वान न्यायाधीश रोमा गुप्ता ने संबंधित थानाध्यक्ष को मुकदमा दर्ज करके विवेचना कराए जाने के निर्देश दिए हैं।