रूद्राक्ष का पौराणिक एवं वैज्ञानिक महत्व – ज्योतिषाचार्य पं0 नीरज शर्मा

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हरिशंकर शर्मा कानपुर। रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से मानी जाती है| रूद्राक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है, रूद्र+अक्ष, जिसमें रूद्र अर्थात भगवान शंकर और अक्ष यानी अश्रु| धर्म शास्त्रों में मिलने वाली पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के आंसू जिन-जिन स्थानों पर गिरे वहां पर रूद्राक्ष के वृक्षों की उत्पत्ति हुई| रुद्राक्ष के वृक्ष में सर्वत्र मूल, त्वचा, शाखा, पत्ता, फल और फूल सभी में रूद्र अर्थात भगवान शिव का वास होता है| प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों के द्वारा रूद्राक्ष की माला से जाप और धारण किया जाता है|

रूद्राक्ष के धार्मिक महत्व के बारे में तो सभी लोग जानते हैं| रूद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के सभी दुखों का अंत होता है और भगवान शिव की कृपा से जातक की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है| ज्योतिष के अनुसार ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी रूद्राक्ष की माला से जाप करना सबसे उत्तम माना जाता है| धार्मिक ज्योतिष महत्त्व होने के साथ ही स्वास्थ्य से भी गहरा संबंध है| तो चलिए जानते हैं कि रूद्राक्ष किस तरह से आपको लाभ पहुंचाता है|

 

– रूद्राक्ष धारण करने के वैज्ञानिक फायदे:

 

✓ वैज्ञानिक मतानुसार रूद्राक्ष में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुण होते हैं, जिसके कारण इसमें अद्भुत शक्ति होती है| इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डॉक्टर डेविड ली ने अनुसंधान के अनुसार ‘रूद्राक्ष’ विद्युत ऊर्जा के आवेश को संचित करता है| इसी कारण इसमें चुंबकीय गुण विकसित होते हैं| यह आवेश मनुष्य के मस्तिष्क में कुछ रसायनों को प्रोत्साहित करते हैं| इस तरह से रूद्राक्ष के द्वारा चिकित्सकीय उपचार होता है| शरीर पर धारण करने पर जब रूद्राक्ष व्यक्ति के शरीर से स्पर्श होता है तो व्यक्ति को स्वयं ही अच्छी अनुभूति होने लगती है|

 

✓ रूद्राक्ष धारण करना व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बढ़ाने में भी कारगर माना जाता है| रूद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को चिंता और तनाव संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है| उसे मानसिक शांति की अनुभूति होती है जिससे व्यक्ति की ऊर्जा और उत्साह में वृद्धि होती है|

 

✓ यदि आपको हृदय संबंधी समस्या है तो भी रूद्राक्ष धारण करना फायदेमंद माना जाता है| जब रूद्राक्ष को धारण किया जाता है तो इसके इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुणों के कारण रक्त परिसंचरण और शरीर के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बनता है| जिससे यदि इसे हृदय पर धारण किया जाए तो यह हृदय रोग, रक्तचाप एवं कोलेस्ट्रॉल स्तर नियंत्रित करने में बहुत प्रभावशाली रहता है|


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