हरिशंकर शर्मा
कानपुर।सरकारी नौकरी में मौजूदा बड़े अधिकारियों जैसे आईएएस और आईपीएस की जन्मकुंडली पर नजर दौड़ाएं तो उनकी जन्म कुंडली में कई प्रकार के राजयोग तथा उच्च पदाधिकारी योग बनते दिख जाएंगे| राजयोग का अर्थ राजतंत्र से है, लेकिन राजतंत्र तो अब सारे संसार में समाप्त हो गया है| ऐसे राजयोग वाले जातक अब इन्हीं उच्च पदों पर सुशोभित होते हैं|
✓ प्रतियोगी और उच्च पदों की परीक्षा में सफलता हेतु सर्वप्रथम पूरी तरह से उस परीक्षा में सफल होने के लिए दृढ़ निश्चयी, पराक्रमी और बुद्धिमान होना अत्यंत आवश्यक है| इसके अलावा कुंडली में लग्न, छठवें और दसवें भाव का बली होना और इनके भावेशों का शक्तिशाली होना अत्यंत आवश्यक है| यह तृतीय भाव और भावेश का कुंडली में उत्तम स्थान पर प्रतिष्ठित होना भी महत्वपूर्ण है|
✓ यदि जातक की जन्मकुंडली में लग्न का स्वामी बलवान होकर दशम भाव में बैठे या दशम भाव में सभी शुभ ग्रह हों और दशम भाव का स्वामी बली होकर स्वराशि या अपनी मित्र राशि मैं होकर केंद्र या त्रिकोण भाव में हो तो उसका भाग्य राजा के समान होता है| प्रायः यह सरकार और राज्य में उच्च पद प्राप्त करता है|
✓ यदि जन्मकुंडली के लग्न व दशम भाव में सूर्य का प्रभुत्व हो तो जातक राजपत्रित अधिकारी और मंगल का प्रभुत्व हो तो जातक पुलिस व सेना में उच्च पद पर आसीन होता है|
✓ गुरु का प्रभाव भी यश और कीर्ति तथा उच्च पद की प्राप्ति कराने वाला होता है| अधिकतर उच्च पदों पर कार्यरत जातकों की कुंडली में बुधादित्य योग जरूर होता है|
✓ जातक के उच्च पद पर आसीन होना उसकी जन्म कुंडली के छठे भाव पर भी बहुत हद तक निर्भर करता है| छठे भाव पर बृहस्पति की दृष्टि अथवा उपस्थिति होना भी जातक के सफल होने का संकेत देती है|
✓ नई नौकरी की शुरुआत देखने के लिए पंचम भाव को देखा जाता है| पंचम भाव जातक की योग्यता, शक्ति सम्मान और राज्य की योग्यता के कारण को दर्शाता है| यह पूर्ण शिक्षा का भी भाव है| पंचम भाव दशम से आठवां होने के कारण कार्य का प्रारंभ तथा उसकी अवधि को प्रभावित करता है|
कुंडली के दशम भाव में कोई भी ग्रह उत्तम फल देने में स्वतंत्र होता है| लेकिन कुंडली के नवांश और दशमांश कुंडली का भी लग्न कुंडली की भांति सभी तरह के योगों की अच्छी तरह पड़ताल करने के बाद ही पूर्णतया फल-कथन किया जाना चाहिए|