जन्माष्टमी पर्व में गौशाला पर प्रधान ने गायों को खिलाया गुड़ और चना

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संदीप प्रजापति

अमौली/फतेहपुर विकासखंड के अंतर्गत ग्राम सभा मवई में बनी निर्मित सूक्ष्म गौशाला में सत्यम कनौजिया सहायक अभियंता लोक निर्माण विभाग द्वारा जन्माष्टमी के पर्व पर गौशाला पहुँच कर गायों की पूजा करते हुए गुड़ और चना खिलाया। और सभी ग्रामीणों से आग्रह किया कि भारत में गायों को माता का दर्जा दिया गया है। इसलिए सभी जिम्मेदार नागरिकों का कर्तव्य बनता है कि हमें गायों की देखभाल के साथ उनकी रक्षा भी करनी चाहिए।वही ग्राम प्रधान धीरू सिंह ने बताया कि ग्राम सभा मवई में बने गौशाला में इस समय 117 गाय हैं। जिनके खाने-पीने देख रेख की जिम्मेदारी मुझे दी गयी है।उनकी देखभाल करना अपना कर्तव्य समझता हूं। इस मौके पर महाराज सिंह सचिव ललित कुमार साहब सिंह प्रदीप सहित लगभग दो दर्जन से ज्यादा ग्रामीण गौशाला में उपस्थित रहे।

कैसे बनी गायों की सृष्टि-
एक कथा वाचक ने गायों के बारे में बताया कि- राधिका पति भगवान श्री कृष्ण के मन में दूध पीने की इच्छा होने लगी। तब भगवान ने अपने वाम भाग से लीलापूर्वक सुरभि गौ को प्रकट किया। उसके साथ बछड़ा भी था जिसका नाम मनोरथ था उस सवात्सा गौ को सामने देख श्री कृष्ण के पार्षद सुदामा ने एक रत्नमय पात्र में उसका दूध दूहा और उस सुरभि से दुबे गए स्वादिष्ट दूध स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने पिया। मृत्यु तथा बुढ़ापा हरने वाला वह दुग्ध अम्रत से भी बढ़कर था। साहसा दूध का वह पात्र हाथ से छूट कर गिर पड़ा और पृथ्वी पर सारा दूध फ़ैल गया। उस दूध से वहां एक सरोवर बन गया जो गोलोक में क्षीर सरोवर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गोपिकाओ और श्री राधा के लिए वह क्रीडा सरोवर बन गया। उसे क्रीडा सरोवर के घाट दिव्य रत्नो द्वारा निर्मित थे। भगवान की इच्छा से उसी समय अशंख कामधेनु गौएं प्रकट हो गई जितनी वे गौएं थी, उतने ही बछड़े भी उस सुरभि गौ के रोमकूप से निकल आए। इस प्रकार उस सुरभि गौ से ही गौओं की सृष्टि मानी गई है।


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