हरीशंकर शर्मा नव हिन्दुस्तान पत्रिका
कानपुर। शिव महापुराण कथा के सप्तम दिवस में कथा व्यास पूज्य सन्त प्रतिमा प्रेम ने बताया कार्तिकेय जी और गणेश जी मे किसकी शादी पहले करनी है। भगवान शंकर ने दोनो से कहा की जो पृथ्वी का पहले चक्कर लगा कर आएगा उसकी शादी पहले होगी। कार्तिकेय जी मोर पर बैठ कर चक्कर लगाने चल दिए किंतु गणेश जी ने माता पिता का परिक्रमा करके भगवान शंकर से कहा कि हमने पूरी पृथ्वी की परिक्रमा कर ली। गणेश जी का विवाह भी हो गया शुभ लाभ पुत्र भी हो गए जब कार्तिकेय जी पृथ्वी जी का चक्कर लगा कर लौट कर आए तो यह देख बहुत नाराज हुए और घर छोड़ कर चले गए।
असुर दंभ को विष्णु के वरदान से एक पुत्र हुआ उसका नाम था संख्यचूड नाम का पुत्र हुआ उसका विवाह तुलसी से हुआ। उसने देवताओं को परेशान करना प्रारंभ कर दिया।उसके पास भगवान विष्णु का दिया हुआ कवच था जिसके कारण वह मरा नहीं जा सकता है। पत्नी के सतीत्व के कारण भी वह मरा नहीं जा सकता है। भगवान शंकर ने छल से उसका कवच प्राप्त किया। विष्णु जी ने शंख्यचूड का भेस बना कर उसका सतीत्व भंग किया। तब जाकर असुर संख्यचूड का वध हुआ।तुलसी के श्राप से विष्णु जी पत्थर के हो गए जिनको सालिगराम के नाम से जाना जाता है। समिति के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने व्यासपीठ का पूजन व माल्यार्पण से सम्मानित किया कथा श्रवण में प्रमुखरुप से श्री जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा वी के दीक्षित, राज कुमार शर्मा,शैलेंद्र मिश्रा, शंकर लाल परशुरमपुरिया , आर पी पाण्डेय, बी के तिवारी,देवेश ओझा श्याम सुंदर मिश्रा,पूनम कुमार, रेनू अवस्थी, मोहनी बाजपेई, जयन्ति बाजपेई,सीमा शुक्ला,जया, त्रिपाठी,मुन्नी अवस्थी,बबिता खरे,कुसुम सिंह, जया, श्वेता,अर्चना,बीना सचान आदि उपस्थित रहीं।