हरिशंकर शर्मा
कानपुर। भारतीय बाल रोग अकादमी द्वारा मनाये जा रहे विश्व ओ०आर०एस० सप्ताह के अन्तर्गत सोमवार को बाल रोग विभाग सभागार हैलट में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। प्रेसवार्ता में अध्यक्ष डॉ० विवेक सक्सेना सचिव, डॉ० अरूण कुमार आर्या, डॉ० जे०के० गुप्ता, डॉ० अनुराग भारती, डॉ० देवेन्द्र अवस्थी, डॉ० शैलेन्द्र गौतम ने जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान डॉ० विवेक सक्सेना ने बताया कि आज भी विश्व में लगभग 12 लाख बच्चे डायरिया के कारण मृत्यु का शिकार होते हैं। अकेले भारत में ही 5 लाख बच्चे डायरिया के कारण अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। भारत में डायरिया से मरने वाले प्रत्येक 4 बच्चों से 1 बच्चा उत्तर प्रदेश का होता है। डायरिया में मृत्यु का एक मात्र कारण शरीर में होने वाली पानी की कमी है जिसको देने से रोका जा सकता है। उन्होने बताया कि बच्चों में 60-80 प्रतिशत वायरल ही डायरिया का कारण होता है। जिस पर एन्टीबायोटिक दवाओं का कोई असर नहीं होता है एक मात्र कारण डब्लू०एच०ओ० आर०एस० ही है।
इसी क्रम में डॉ० जे०के० गुप्ता ने बताया की डब्लू०एच०ओ०आर०एस० ही 95 से 97 प्रतिशत तक डायरिया के मरीजों का सफलता पूर्वक पुर्नर्जलीकरण कर सकता है, बशर्ते यह पहले दस्त से शुरू किया जाये। उन्होने बताया कि डब्लू०एच०ओ०आर०एस० अस्पताल में भर्ती होने की दर से 50 प्रतिशत तक की कमी अस्पताल में मृत्युदर में 50 से 60 प्रतिशत तक की कमी एवं बीमारी के खर्चे में 90 प्रतिशत तक की कमी की जा सकती हैं। लेकिन विडम्बना है कि आज भी केवल 62 प्रतिशत मातायें ही डब्लूएच०ओ०आर०एस० के विषय में जानती हैं और 27 प्रतिशत मातायें डायरिया होने पर बच्चों को डब्लू०एच०ओ०आर०एस० देती है जबकि 68 प्रतिशत मातायें अपने बच्चों को एन्टीबायोटिक देती हैं। उन्होने मार्मिक अपील करते हुए कहा कि डायरिया से होने वाली मृत्यु समाज के लिये शर्म की बात है क्योंकि अगर पहले दस्त से डब्लू०एच०ओ०आर०एस० शुरू कर दिया जाये एवं खतरे के लक्षण होने पर तुरन्त भर्ती कर उपचार शुरू कर दिया जाये तो डायरिया से मृत्युदर पर विजय पायी जा सकती है।
वहीं डॉ० अनुराग भारती ने बताया कि डायरिया के दौरान एवं डायरिया के उपरान्त 14 दिन तक लगातार जिंक देने से डायरिया जल्दी ठीक होता है और भविष्य में दुबारा नही होता है। सचिव डॉ० अरूण कुमार आर्या ने बताया कि डायरिया से बचाव के लिये बच्चों को बोतल से दूध कमी न दें सफाई का विशेष ध्यान दें मिट्टी खाने से बच्चों को रोकें खुली हुई मिठाइयाँ एवं बाजार के कटे हुये फलों से परहेज करें। अगर दस्त बार-बार और अधिक हों उल्टियाँ न रूक रही हो, बच्चा सुस्त हो, पेशाब कम या रुक जाये, पेट फूल जाय यह सब खतरे के लक्षण मानकर तुरन्त भर्ती कराना चाहिये ।
प्रेसवार्ता के अन्त में कोषाध्यक्ष डॉ० देवेन्द्र अवस्थी, डॉ० शैलेन्द्र कुमार गौतम ने बताया कि अकादमी द्वारा आयोजित किये जा रहे विभिन्न डब्लू०एच०ओ०आर०एस० जागरूकता कार्यक्रम की जानकारी दी।