
कानपुर। आरटीओ विभाग में रहे तत्कालीन परिवहन उपायुक्त की नेमप्लेट कूडे के ढेर में आराम करती हुइ्र दिखाई पडी। आरटीओ परिसर के मेडिकल कक्ष के बाहर पडी नेमप्लेट आरटीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों की कारगुजारियों के बारे में स्वयं बतला रही है कि किस तरह से किसी अधिकारी के स्थानान्तरण होने के बाद उसके नाम पट्टिका को कूड के ढ़ेर में डाल कर उसका मखौल उडाते है यह साफ नजर आ रहा है।
आपको बता दे कि बीते कुछ वर्ष पूर्व परिवहन उपायुक्त देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी की नाम पट्टिका कूडे के ढ़ेर में पडी मिली। अगर संवैधानिक तौर पर देखा जाए तो यह किसी भी अधिकारी की सबसे बडी बेज्जती और मखौल है जिसको आरटीओ के अधिकारियों ने बता दिया। दिन भर वहां से गुजरने वाले कई लोग उस पर पैर रख कर चले गए ,लेकिन किसी ने भी उस नाम पट्टिका को हटा कर रखने की जहमत नही उठाई। जब इस बावत अधिकारी से बात करना चाहा तो न तो एआरटीओ प्रशासन सुधीर वर्मा मिले औश्र न ही आरटीओ राजेश सिंह ने ही मिलने का कोई समय दिया। अब ऐंसे में अगर कोई भी अधिकारी स्थानान्तरण हो कर जाएगा तो उसके जाने के बाद उसका स्वागत कूडे ,जूते चप्पलो और पैरो तले रौंद कर उसका सम्मान बढ़ाया जाएगा।