एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम’ राष्ट्र व्यापी विचार एवं परामर्श सम्मेलन एक दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

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भिंड,मध्यप्रदेश।प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस भिंड में आज सांसद श्रीमती संध्या राय की उपस्थिति में “एक राष्ट्र एक चुनाव कार्यक्रम” राष्ट्रव्यापी विचार एवं परामर्श सम्मेलन एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें भिण्ड विधायक श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह, एडवोकेट श्री आनंद
बरुआ, श्री रविसेन जैन, श्री उपेंद्र सहित अन्य जनप्रतिनिधि सम्मिलित हुए। सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चरणों में दीप प्रज्वलन और पुष्प अर्पित कर किया गया।सांसद श्रीमती संध्या राय ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक देश एक चुनाव की विचारधारा को लोकतांत्रिक तौर पर यदि एक साथ चुनाव के रूप में किया जाये तो यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक ही साथ कराने का प्रस्ताव प्रस्तुत करता है। इससे मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में एक ही दिन सरकार के दोनों स्तरों के लिए अपने मत डाल सकेंगे, हालाँकि देश भर में मतदान कई चरणों में कराया जा सकता है। इन चुनावी समय-सीमाओं को एक साथ जोड़ने के दृष्टिकोण का उद्देश्य चुनावों के लिए किए जाने वाले प्रबंध से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करना, इसमें लगने वाले खर्च को घटाना और लगातार चुनावों के कारण कामकाज में होने वाले व्यवधानों को कम करना है। भारत में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट को 2024 में जारी किया गया था। रिपोर्ट ने एक साथ चुनाव के दृष्टिकोण को लागू करने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान की। इसकी सिफारिशों को 18 सितंबर 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकार किया गया, जो चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। भारत में शासन को सुव्यवस्थित करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को उसके अनुकूल बनाने की आकांक्षाओं को देखते हुए एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा एक महत्वपूर्ण सुधार के रूप में उभरी है जिसके लिए गहन विचार-विमर्श और आम सहमति की आवश्यकता है।
विधायक भिण्ड श्री नरेंद्र सिंह कुशवाह ने विद्यार्थियों और समस्त स्टाफ को संबोधित कर बताया कि एक साथ चुनाव कराने से मतदाता की थकान कम होती है और मतदान प्रतिशत बढ़ता है। एक राष्ट्र एक चुनाव नीति स्थिरता और आर्थिक विकास सुनिश्चित करता है। यह उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधान को रोकता है, विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों के लिए। सरकारी व्यय को कम करता है और संसाधनों के उपयोग को अनुकूलित करता है। शासन और सार्वजनिक सेवा के लिए अधिक समय प्रदान करता है। इससे चुनाव संबंधी विवादों में कमी आएगी, समय और न्यायिक संसाधनों की बचत होगी।
राजनीतिक कार्यकर्ताओं, अधिकारियों और सुरक्षा बलों के प्रयासों को बचाता है। प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार चुनाव कराकर सामाजिक संघर्ष को कम किया जा सकता है।
आभार प्रदर्शन प्राचार्य डॉ. आर.ए. शर्मा ने किया एवं मंच संचालन प्रो. मोहित दुबे और डॉ. आरती शर्मा, सहा. प्रा. ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय का समस्त स्टॉफ उपस्थित रहा।

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