अमृत सरोवर योजना की जमीनी हकीकत हकीकत — 311 तालाब, 18.66 करोड़ खर्च फिर भी सूखे पड़े हैं सरोवर, भ्रष्टाचार की बू

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उन्नाव।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना का उद्देश्य जल संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीणों को पिकनिक स्पॉट जैसी सुविधाएं देना था, लेकिन उन्नाव जिले में यह योजना कागजों पर ही खिलती नजर आ रही है।प्रशासन ने दावा किया था कि जिले में 311 तालाबों को अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया गया है। लेकिन हकीकत में ज्यादातर तालाब सूखे पड़े हैं, बेंच, ओपन जिम और रेलिंग जैसी सुविधाएं नदारद हैं।
18.66 करोड़ रुपये खर्च, फिर भी हाल बेहाल
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक सरोवर पर औसतन 6-7 लाख रुपये खर्च किए गए। इस तरह कुल 18.66 करोड़ रुपये की लागत से तालाबों का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण हुआ। लेकिन ग्राम पंचायत भतांवा, कोलुहागाड़ा, रिठनई, रामपुर खालसा, टीकर गढ़ी, ओरहर, कनिगांव जैसे गांवों में बने अमृत सरोवरों में अब सिर्फ धूल उड़ रही है।
तालाबों पर कब्जे, डिस्प्ले बोर्ड जर्जर
कई तालाबों की जमीनों पर स्थानीय कब्जे हो चुके हैं, जहां अब मवेशी बांधे जा रहे हैं। रखरखाव की अनदेखी का आलम यह है कि अधिकांश तालाबों के पास लगाए गए डिस्प्ले बोर्ड बदहाल हो चुके हैं,और उन पर लिखी जानकारी पूरी तरह मिट चुकी है।
स्थानीय लोगों का आरोप: तालाब बने, पानी नहीं भरा गया
ग्रामवासियों महेंद्र और रामखेलावन का कहना है कि सरकार ने तालाब तो बनवा दिए, लेकिन इनमें पानी भरवाने या देखरेख की कोई योजना नहीं बनाई गई। गर्मी के समय इन तालाबों से इंसान और जानवरों को राहत मिलनी चाहिए थी, पर वे पूरी तरह से सूखे पड़े हैं।
प्रशासन मौन, मंत्री की मंशा पर सवाल
पूरे मामले में जब मीडिया ने मुख्य विकास अधिकारी कृतिराज से प्रतिक्रिया मांगी तो कोई जवाब नहीं मिला। वहीं प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और उन्नाव जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह की तालाबों की देखरेख को लेकर जताई गई मंशा भी अधिकारियों की लापरवाही के सामने दम तोड़ती नजर आ रही है।
योजना या दिखावा?
अमृत सरोवर योजना, जिसका उद्देश्य था जल संरक्षण और ग्रामीण सौंदर्यीकरण, अब उन्नाव में भ्रष्टाचार और दिखावे की मिसाल बन गई है। अगर जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह करोड़ों रुपये की योजना सिर्फ एक विफल सरकारी अभियान बनकर रह जाएगी।

 फोटो, गिरीश चंद्र त्रिपाठी

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