कर्नल सोफिया के ननिहाल लहुरीमऊ में खुशी का माहौल,मामी आयशा बेगम ने कहा-बेटियां चूल्हा ही नहीं देश की सीमा कमान संभाल रही, बचपन से बंदूकी खिलौनों का था शौक

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कानपुर।के लहुरीमऊ गांव में कर्नल सोफिया का ननिहाल है। ऑपरेशन सिंदूर की कमान संभालने को लेकर गांव में खुशी का माहौल है। लोगों ने कहा कि कर्नल सोफिया ने देश का नाम गर्व से ऊंचा करते हुए लोगों को संदेश दिया है, कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं है। उन्होंने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर पहलगाम आतंकी हमले का बहादुरी के साथ बदला लिया है।

 कर्नल सोफिया कुरैशी के ननिहाल लहुरीमऊ गांव का पुराना मकान।

कानपुर के घाटमपुर से लहरीमऊ गांव तक नव हिंदुस्तान पत्रिका की ग्राउंड रिपोर्ट।

कानपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर घाटमपुर तहसील के थाना सजेती क्षेत्र के लहुरीमऊ गांव में यहां कर्नल सोफिया का ननिहाल है। मामी आयशा बेगम ने बताया कि कर्नल सोफिया बचपन से फौज में ही जाना चाहती थी, उनका शौक था, कि वह सीमा पर जाकर देश की रक्षा करे। मामी आयशा बेगम ने बताया कि उनकी ननद हलीमा की जुड़वां बेटियां सोफिया और सायना हैं। सोफिया बचपन से ही अनुशासित, तेज-तर्रार स्फूर्तिवान देशभक्ति से भरी हुई है। पढ़ाई में अव्वल और आत्मविश्वासी सोफिया ने बचपन में ही सेना में जाने का सपना था। सोफिया की मां हलीमा की शादी एमपी सीमा से लगे छतरपुर जिले के नौगांव में हुई थी। पिता ताज मोहम्मद भी सेना में कर्नल थे। घर का माहौल ही ऐसा था,कि राष्ट्रसेवा का जज्बा सोफिया के भीतर गहराई तक समा गया। देश सेवा के संस्कार सोफिया को विरासत में मिला जिसे उसने देश के गौरव के लिए कर दिखाया!
ममेरे भाई शहजाद ने कहा कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर अपने देश हिंदुस्तान का नाम रोशन किया है।

 अपनी मां हलीमा, पिता कर्नल ताज ममोहम्मद के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी।

 

ममेरा भाई एजाज और शहजाद ने बताया कि रात में टीवी पर सुबह और डिजिटल खबरों से सोफिया को ऑपरेशन सिंदूर की कमान संभालने का नाम फ़ोटो सहित देखा तो बहुत खुशी हुई। बहन की बहादुरी देखकर गर्व महसूस हो रहा है। हमें उस पर नाज है। सोफिया ने न सिर्फ देश, बल्कि पूरे देश विदेश हिंदू मुस्लिम महिला समाज का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। सोफिया ने बता दिया कि बेटियां सिर्फ चूल्हा-चौका नहीं, अब देश की सीमाएं भी संभाल रही हैं। जब हमने पाकिस्तान पर भारतीय सेना की कार्रवाई के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा- बार बार एयर स्ट्राइक करने की बजाय एक बार में ही पूरे पाकिस्तान का सफाया कर देना चाहिए।

 कर्नल सोफिया मामी आयशा बेगम के साथ उनका ममेरा भाई एजाज कुरैशी।

मुहल्ले वासियों ने बताया कि बचपन में हमारे घर में खेलने आती थी, बंदूकी खिलौनों का साहसिक शौक था

लहुरीमऊ गांव निवासी पप्पू ने बताया कि कर्नल सोफिया बचपन में उनके घर पर खेलने आती थी, आज उन्होंने देश में सेना की कमान संभालकर सभी का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। उन्होंने बताया कि वह उनके घर के पास स्थित कुएं के पानी से नहाया करती थी। गांव में आज भी पुराना कुआं स्थित है। उन्होंने बताया कि कर्नल सोफिया को बचपन से बंदूकी खिलौने से खेलने का शौक था, वह कहा करती थी, कि वह बड़ी होकर देश पिता की तरह देश सेवा करेगी।

 

 कर्नल सोफिया के ननिहाल का पुराना कुआं।

जानें पूरा मामला…

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने 7 मई को पहलगाम हमले का बदला लिया। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की। 9 टारगेट पर 24 मिसाइलें दागकर 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा किया। इस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम दिया गया, जिसे कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। कर्नल सोफिया कुरैशी गुजरात की रहने वाली हैं, लेकिन उनका यूपी से भी खास कनेक्शन है। झांसी के सदर बाजार स्थित भट्टागांव में उनकी चचेरी बहन शबाना रहती हैं। जबकि हमीरपुर के किंग रोड पर उनकी बड़ी मौसी जन्नतुन खातून अपने बेटे मोहम्मद अशरफ और बहू के साथ रहती हैं। वहीं घाटमपुर के लहरीमऊ गांव में उनका ननिहाल है। यहां पर उनकी मामी आयशा बेगम अपने दो बेटों के साथ रहती है।

जानें कौन हैं, कर्नल सोफिया कुरैशी…

कर्नल सोफिया आर्मी कम्युनिकेशन एक्सपर्ट हैं,और सिग्नल कोर में सर्विस देती हैं। वे पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने मल्टीनेशनल मिलिट्री एक्सरसाइज का नेतृत्व किया था। वह कई साल तक यूनाइटेड नेशंस की पीस-मेकिंग एक्सरसाइज का हिस्सा भी रही हैं।


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