कानपुर। गुरुद्वारा बाबा नामदेव में श्री गुरु तेग बहादुर जी का प्रकाश उत्सव बड़ी श्रद्धा से गुरमत समागम के रूप में मनाया गया। विशेष रूप से इसकी सत्संग बाबा नामदेव द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को शबद कीर्तन गायन किए गए। धरती भई आवली जीथे मेरा सतगुरु बैठा आए बताया गया कि गुरु जी का जन्म अमृतसर में हुआ था यह छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिंद जी की संतान थे इनको गुरु हरगोबिंद जी ने दीन रक्षक संकट हरण का का खिताब दिया था यह हमेशा नाम सिमरन में जुड़े रहते थे त्याग बलिदान की भावना इसमें कूट-कूट के भरी थी इनके द्वारा मुगल शासन में हिंदू धर्म की रक्षा के लिए अपने कई शिष्यों के साथ बलिदान दिया गया।
कहते हैं कि तेग बहादुर हिंद की चादर तिलक जंजु राखा प्रभताकाकिनो बधू क्लू में साका, इनका शहीदी शताब्दी वर्ष इस साल नवंबर में आ रहा है गुरुद्वारा बाबा नामदेव द्वारा अनेक कार्यक्रम बनाए गए हैं,आगामी 27 अप्रैल को मोती झील लान में विशेष संगत जोड़ मेला मनाया जा रहा है जिसमें पटना के सरबजीत सिंह रागी जगजीत सिंह ज्ञानी हरनाम सिंह हेड ग्रंथी गुरुद्वारा शीशगंज विशेष रूप से कानपुर में आ रहे हैं यह जानकारी सदा नीतू सिंह द्वारा दी गई बाद में संगत ने गुरु का लंगर ग्रहण किया गुरु तेग बहादुर सिमरिया घर नो निधि आवे थाए साथ संगत में वाहेगुरु सतनाम के उद्घोष लगाते हुए गुरुपर्व मनाया।
विशेष रूप से सदाचरणजीत सिंह,गुरदीप सिंह सहगल, हरदयाल सिंह,चंद असरानी,सुरेंद्र कौर,बलजीत कौर,सोनिया नीना संगत की सेवा कर रही थी।