हजरत एजाज मोहम्मद फारूकी उर्फ शममू मियां सफ़वी का मनाया जाएगा 15 वां सालाना उर्स

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उन्नाव।पंद्रहवां (15वां) सालाना उर्स मुक़द्दस वाक़िफ-ए-रमूज़े तसव्वुफ़, हज़रत अश्शाह मतलूब सफ़ी अलमारूफ़ हज़रत एजाज़ मोहम्मद फारूक़ी उर्फ शम्मू मियाँ सफवी निज़ामी चिश्ती अलहिर्रहमतो रिज़वान हर साल की तरह इस साल भी बड़ी ही शानो शौकत के साथ 23 नवंबर बरोज शनिवार को मुनअक़िद हो रहा है।

आप हुज़ूर बन्दगी शेख़ मुबारक अलहिर्रमा के महबूबे नज़र और नूर-उल-अनवार हज़रत नूर मियां अलहिर्रमा के नूरे नज़र थे और आप अवाम-व-ख़वास में “अब्बी हुज़ूर” के नाम मशहूर-व-मारूफ थे। आपकी विलादत 15 शाबान सन् 1359 हिजरी में हुई। आप हज़रत मख़दूम शाह सफ़ी शाहे विलायत सफ़ीपूरी र.अ. के 16वें सज्जादानशीन थे। हुस्ने इख़लाक़ व किरदार में आप अपने मशाएख़ के सरापा नमूना थे। आपकी ज़ात में दीनदारी, नेक नफ़सी, उसूल-पसंदी और मेहमान नवाज़ी जैसी बेशुमार खूबियां थीं। आप दुनियावी शोहरत से हमेशा दूर रहे और गोशा नशीनी को पसंद किया। इसके बावजूद जब आप का विसाल की ख़बर फैली तो चारो जानिब से हज़ारों की तादाद में लोग दीवाना वार टूट पड़े और उस परवान-ए-हुजूम को देखकर अपने तो अपने ग़ैर भी दंग रहे। आज भी जब आपका ज़िक्र होता है तो आपके मुहिब्बीन की आंखें पुरनम हो जाती हैं। उर्स के बारे में जानकारी देते हुए दरगाह के गद्दी नशीन हजरत नवाजिश मोहम्मद फारूकी मियां साहब ने बताया कि 23 नवंबर बरोज शनिवार को बाद नमाजे फजर कुरआन ख्वानी होगी। 10 बजे दिन में जिक्रे औलिया-ए-कराम होगा। बाद नमाजे जोहर महफिल समा (कव्वाली) का प्रोग्राम होगा। शाम 4 बजे कुल शरीफ बाद नमाजे असर फातिहा खास होगी।


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