उन्नाव।शैवाचार्य प्रशांत प्रभुदास जी महाराज ने आठवें दिन की कथा में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की कथा सुनायी। सबसे पूजनीय देवताओं में शामिल भगवान शिव को अनेक नामों से पुकार जाता है. जैसे शिवा, नीलकंठ, भोले भंडारी, शिवाय, शंकर भगवान आदि. देश के विभिन्न जगहों पर भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंग हैं. जिनमें से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे अधिक प्रसिद्ध है, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है।प्राचीन समय में महाराजा चंद्रसेन नाम के राजा उज्जैन में राज्य करते थे. राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे तथा उनकी प्रजा भी भगवान शिव की पूजा किया करती थी. एक बार पड़ोसी राज्य से राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर आक्रमण कर दिया. इस दौरान दूषण नाम के राक्षस ने भी प्रजा पर अत्याचार करना शुरू कर दिया।
Mahakaleshwar Jyotirlinga: हिंदू धर्म में सबसे पूजनीय देवताओं में शामिल भगवान शिव को अनेक नामों से पुकार जाता है. जैसे शिवा, नीलकंठ, भोले भंडारी, शिवाय, शंकर भगवान आदि. देश के विभिन्न जगहों पर भगवान शिव से जुड़े 12 ज्योतिर्लिंग हैं. जिनमें से महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे अधिक प्रसिद्ध है, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है.
भगवान शिव के इस भव्य ज्योतिर्लिंग की ख्याति दूर-दूर तक है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन शिप्रा नदी के तट पर बसा हुआ है. तो चलिए आज आपको महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के महत्व और कथा के बारे में बताते हैं.
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कथा
पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, माना जाता है कि प्राचीन समय में महाराजा चंद्रसेन नाम के राजा उज्जैन में राज्य करते थे. राजा चंद्रसेन भगवान शिव के परम भक्त थे तथा उनकी प्रजा भी भगवान शिव की पूजा किया करती थी. एक बार पड़ोसी राज्य से राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर आक्रमण कर दिया. इस दौरान दूषण नाम के राक्षस ने भी प्रजा पर अत्याचार करना शुरू कर दिया.
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पैरों के तलवे में बना है चक्र का निशान, कुंडली में राजयोग का है संकेत!राक्षस के अत्याचारों से पीड़ित होकर प्रजा ने भगवान शिव का आह्वान किया, तब उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और राक्षस का वध किया। प्रजा की भक्ति और उनके अनुरोध को देखते हुए भगवान शिव हमेशा के लिए ज्योतिर्लिंग के रूप में उज्जैन में विराजमान हो गए।
पावन कथा के बीच भजन गायक सुमित और संगतकर्ताओं आकाश और धर्मेंद्र ने सुमधुर संगीत के साथ भजनामृत से सबको मंत्रमुग्ध किया।
कथा आजमान देवी प्रसाद साहू, हरि प्रसाद साहू, श्रीमती संतोष साहू, धीरज सिंह, विक्रम सिंह, नीलम त्रिपाठी, निशीथ निगम, राधा निगम, डॉ सुषमा सिंह, श्रीमती लीलावती, संतोष तिवारी, कथा अध्यक्ष अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी व श्रीकांत शुक्ला मुकुल, व्यवस्थापक जितेन्द्र सिंह(अन्नू), संरक्षकों हरि सहाय मिश्र मदन, कमल वर्मा, राजेन्द्र सिंह सेंगर, साधना दीक्षित, राहुल पाण्डेय, विघ्नेश पाण्डेय, संजय पाण्डेय, सरिता सिंह, वंदना सिंह, दीपाली सिंह, इंद्र मणि मिश्रा एडवोकेट, अभिषेक शुक्ला, संजय त्रिपाठी, अनिल गुप्ता, संजय शुक्ला, दिव्या शुक्ला, शोभा पांडेय, चंद्रप्रकाश बाजपाई, ओम प्रकाश सोनी, कुलदीप सिंह, कुँवर बहादुर सिंह, रवि प्रकाश सिंह, कौशल किशोर यादव, संतोष दीक्षित, मनोज सिंह, शिवेन्द्र अवस्थी, रोहित अवस्थी शुभ दुबे, सोनू सिंह, सोनू पावर हाउस आदि ने आशीर्वाद प्राप्त किया। संयोजक डॉक्टर मनीष सिंह सेंगर ने आगामी 13 अगस्त को होने वाले 1008 पार्थिव शिव लिंगों के सामूहिक रुद्राभिषेक में ज्यादा से ज्यादा लोगों को सपरिवार शामिल होने के लिए पंजीकरण कराने की जानकारी दी। बारिश के बावजूद हज़ारों श्रद्धालुओं ने वाटर प्रूफ विशाल पांडाल में निर्विघ्न रूप से कथा सुनी।