भारत में परीक्षा प्रणाली का संकट: लीकेज, रद्द और सरकार की निष्क्रियता- ऋषि वैभव मिश्र (छात्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी

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उन्नाव।भारत में शिक्षा प्रणाली का एक अहम हिस्सा होने के बावजूद, परीक्षा प्रणाली पिछले कुछ वर्षों में गंभीर समस्याओं का सामना कर रही है। हाल ही में, नीट और यूजीसी नेट ,आर ओ , सिपाही भर्ती जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के पेपर लीक हुए और कुछ परीक्षाओं को रद्द भी कर दिया गया। यह समस्या केवल इन परीक्षाओं तक सीमित नहीं है। बल्कि पिछले कई महीनों में विभिन्न परीक्षाएं इसी तरह के संकट का शिकार हुई हैं। इससे न केवल छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ा है। बल्कि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठे हैं।

भारत में उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। लाखों छात्र अपनी पूरी मेहनत और जीवन की दिशा इन्हीं परीक्षाओं पर निर्भर करते हैं। जब इन परीक्षाओं के पेपर लीक होते हैं या रद्द किए जाते हैं, तो इसका सीधा असर छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य व उनके करियर के अलावा मां बाप पर आर्थिक बोझ के रुप मे पड़ता है। बार-बार पेपर लीक होने से छात्रों में परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के प्रति असंतोष और अविश्वास बढ़ता जा रहा है।
सरकारी प्रतिक्रिया और निष्क्रियता
पेपर लीक की होने वाली घटनाओं के बाद सरकार की प्रतिक्रिया को देखकर लगता है कि जैसे वे इस समस्या को गंभीरता से ले ही नहीं रहे हैं। हर बार पेपर लीक होने के बाद वही केवल जांच की घोषणाएं होती हैं, लेकिन पेपर लीक होने जैसी समस्या का कोई दीर्घकालिक समाधान के ठोस प्रयास किए जाते दिखाई नहीं देते। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि सरकार की निष्क्रियता इस समस्या को और बढ़ा रही है। छात्रों और उनके अभिभावकों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सरकार की भी इसमें मिलीभगत है, क्योंकि इतनी बड़ी बल्कि लाइलाज हो चुकी समस्या के बावजूद कोई ठोस कदम आखिर क्यो नहीं उठाए जा रहे हैं।
संभावित समाधान
1. **सुरक्षा प्रणाली को मजबूत करना:** परीक्षा के प्रश्नपत्रों का प्रारूप फाइनल होते, प्रिंटिंग प्रेस स्तर की गहन निगरानी के साथ ही प्रिंटेड प्रश्न पत्रों को सुरक्षित रखने व परीक्षा केन्द्रों पर पहुंचने, परीक्षा के पूर्व इनके खोले जाने आदि के लिए उच्च स्तर की सुरक्षा प्रणाली अपनानी चाहिए। इस काम को अंजाम देने मे डिजिटल एन्क्रिप्शन और सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य करने के साथ फूल प्रूफ परीक्षा कराई जानी चाहिए।
2. **निष्पक्ष जांच:** पेपर लीक की हर घटना की निष्पक्ष और गहन जांच होनी चाहिए। साथ ही दोषी जनों की खोजबीन कर उनके विरुद्ध ऐसी सख्त कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए कि देश में कोई भी ऐसी घटना की पुनरावृत्ति कर सके। पूर्व में हो चुकी पेपर लीक मे शामिल दोषी व्यक्तियों के मुकदमों की जल्द से जल्द सुनवाई करवा कर ऐसी सख्त सजा दिलाई जानी चाहिए कि फिर दुबारा कोई ऐसी गुस्ताखी न कर सके।
3. **प्रौद्योगिकी का उपयोग:** ऑनलाइन परीक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिसमें प्रश्नपत्र आखिरी समय में जेनरेट किए जाते हैं और सुरक्षा मानकों का पालन होता है।
4. **पारदर्शिता:** परीक्षा प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाना आवश्यक है। परीक्षा से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि छात्रों और अभिभावकों को विश्वास हो सके।
भारत की परीक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। परीक्षा लीक और रद्द होने की घटनाओं ने देश के लाखों युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल रखा है। सरकार की निष्क्रियता केवल समस्याओं को बढ़ावा दे रही है। यह समय है कि सरकार जागे और आवश्यक सुधारों को लागू करे ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो और शिक्षा प्रणाली में विश्वास बहाल हो सके। भारत के युवाओं का भविष्य दांव पर है। इसे बचाने के लिए सरकार की जिम्मेदारी महत्वपूर्ण हों जाती है।


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