मित्रता करो तो कृष्ण सुदामा की तरह जो समाज में आदर्श बन जाये,सुदामा निर्धन थे लेकिन दरिद्र नहीं थे- राकेश पाण्डेय

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उन्नाव।फतेहपुर चौरासी नगर क्षेत्र के शास्त्री नगर में स्थित समृद्धि पैलेस प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस आज सुदामा चरित्र और रुक्मिणी बिवाह की कथा सुनाते हुए कथा व्यास राकेश पाण्डेय ने कहा कि भगवान कृष्ण ने सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने मित्रता की मिशाल पेश की है। संसार में मित्रता भगवान कृष्ण और सुदामा की तरह होनी चाहिए। आज के युग में स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे से मित्रता करते हैं और काम निकल जाने पर एक दूसरे को भूल जाते हैं।श्री कृष्ण और सुदामा नें समाज में समानता का संदेश दिया है। .उन्होंने कहा कि संसार में सबसे बड़ा दरिद्री कौन है तृष्णा यानी चाह और चाह कभी भी खत्म नहीं होती। सुदामा के घर में खाने एक भी दाना नहीं है, लेकिन सुदामा दरिद्री नहीं है सुदामा टूटी झोपड़ी में रहते हैं, लेकिन दरिद्र नहीं हैं, कपड़े फ़टे पुराने हैं लेकिन दरिद्र नहीं हैं, सुखदेव ने कहीं भी सुदामा को दरिद्र नहीं बताया है।तेरह तेरह दिन बिना अन्न के सुदामा और उनकी पत्नी बनी रहीं इसी कारण सुदामा अति कमजोर हैं, पूरा शरीर हड्डियों का ढाँचा बन गया था। परम विद्वान गर्गाचार्य की पुत्री सुशीला सुदामा की पत्नी हैं। गर्गाचार्य ने सोंचा कि हमारा दामाद निर्धन ब्राह्मण हैं। इसलिए अपनी पुत्री के लिए धन दे दें, लेकिन सुदामा ने धन नहीं लिया। अपनी पत्नी के कहने पर कि द्वारिकाधीश तुम्हारे मित्र हैं तुम उनके पास क्यों नहीं जाते हो? द्वारिकापुरी जाने पर भगवान कृष्ण उनकी दशा देखकर द्रवित होकर अपने आँसुओं से उनके पैर धोते हैं, और धन धान्य देकर अपने मित्र को विदा किया। इसके बाद रुक्मिणी बिवाह की कथा के बाद कथा को विराम दिया गया। कथा आयोजक श्रीमती श्रीमती शील वती सिंह, लाल बहादुर सिंह, श्रीमती मीरा सिंह आदि नें बिधि विधान से पूजा अर्चना की। करण सिंह, दिलीप कुमार सिंह, प्रदीप कुमार सिंह, पवन सिंह, वीर विक्रम सिंह, विनय प्रताप सिंह नें आए हुए भक्तों का स्वागत किया।इस अवसर पर सैकड़ों ग्रामवासी एवं क्षेत्रीय श्रोतागण मौजूद रहे।


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