उन्नाव।विधानसभा क्षेत्र बांगरमऊ के एक वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर संपन्न लोकसभा चुनाव की विस्तृत समीक्षा करने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में जमीनी कार्यकर्ताओं को वरिष्ठ नेताओं द्वारा तवज्जो न देने की बात कही है।बांगरमऊ तहसील बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा मंडल फतेहपुर चौरासी के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भेजा है। जिसमें उन्होंने बताया है कि वह जनसंघ से लगभग 40 वर्ष से जुड़े हुए हैं और कई बार फतेहपुर चौरासी भाजपा मंडल के अध्यक्ष और जिला भाजपा कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे हैं।उन्हें उत्तर प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों की पराजय से मानसिक परेशानी हुई है।वह अपनी समझ व अनुभव मुख्यमंत्री के पास प्रेषित किये हैं।पत्र में कहा है कि उन्नाव जनपद में सांसद साक्षी महाराज गत चुनाव में चार लाख से अधिक मतों से जीते थे जबकि इस बार मात्र 35000 मतों से विजई हुए।इस चुनाव में भाजपा संगठन के ही लोग दिखाई नहीं दिए। गांव में भाजपा संगठन पदाधिकारी नहीं पहुंचे। संभवत जनप्रतिनिधियों द्वारा उनकी अपेक्षा की गई।ग्रामीण जनता की अधिकांश समस्याएं थाना ब्लॉक व तहसील की होती हैं। जहां जनता का काम तो होता नहीं है अपितु प्रताड़ना व आर्थिक दोहन होता है।उन्हें प्रतिदिन दौड़ लगानी होती है। तहसील दिवस व थाना दिवस में आने वाली शिकायतों का निस्तारण लेखपाल या थाना सिपाही बिना मौके पर जाए घर में बैठकर समस्या का निस्तारण कर देते हैं। अधिकारी उनकी रिपोर्ट को सही सत्यापित कर देते हैं। ग्रामीण दर्जनों बार प्रार्थना पत्र देते हैं परंतु सुचिता पूर्ण व सही समस्या का समाधान नहीं होता है।उन्होंने पत्र में बताया है कि तहसील में वसीयत व वरासत के सैकड़ो मामले जो अबिवादित हैं कई वर्षों से लंबित हैं क्योंकि नायब तहसीलदार को मुंह मांगी धनराशिव नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण वर्षों से तहसील के चक्कर लगा रहे हैं वह लोग एसी में बैठकर तारीख देते रहते हैं।अपने पत्र में कहा है कि जांच के समय साक्ष्य भी हम देंगे।उन्होंने पत्र के जरिये मांग की कि वसीयत करने पर रोक लगनी चाहिए क्योंकि अधिकारी वसीयत पर भारी धनराशि लेकर आदेश करते हैं।उनका आरोप है कि प्रत्येक लेखपाल के पास तहसील के सभी पटलों पर प्राइवेट लोग लगे हैं जो दिन भर लूट करते रहते हैं तथा जो राजकीय कर्मचारी हैं कोई भी बैध कार्य बिना रुपए लिए नहीं करते हैं। फरवरी मार्च 2024 के बैनामा जो उपनिवंधक कार्यालय से तहसील आते हैं अभी तक उनकी फीडिंग नहीं हुई है।कौन राजस्व कर्मी क्या कर रहा है कभी उप जिला अधिकारी, तहसीलदार द्वारा उनकी आकस्मिक गतिविधियों का निरीक्षण नहीं किया जाता है। पत्र में कहा है कि उप निबंधक कार्यालय में 5000 रूपये के स्टांप पर हिबानामा, दान पत्र लिखे जाते हैं। उनकी दाखिल खारिज में किसानों का पसीना छूट जाता है। आरोप था कि कम पढ़े-लिखे व्यक्ति तहसील की खतौनी वरासत या अन्य कार्यों की फीडिंग करते हैं। वह जानबूझकर नाम गलत या अंश निर्धारण गलत टाइप करते हैं। उसे ठीक कराने में किसानों का पसीना छूट जाता है। गांव में जितने गौशाला में जानवर है उससे अधिक छुट्टा आवारा पशु घूम रहे हैं।किसान जाड़ा गर्मी में दिन-रात खेतों की रखवाली करते हैं। लोग कभी साड़ो के हमले व अटैक से मर भी जाते हैं। इसका कोई स्थाई समाधान नहीं है।उचित दर विक्रेता घटतौली करते हैं तथा पास मशीन में अंगूठा निशान लगवा लेते हैं फिर भी खाद्यान्न नहीं देते हैं। शासन द्वारा उचित दर विक्रेताओं पर काफी शिकंजा कसा गया है परंतु यह लोग कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ लेते हैं।आपूर्ति निरीक्षक द्वारा उनका संरक्षण किया जाता है। चाहे जितनी बार कोटेदार की शिकायत करो उनका कुछ नहीं होता है। नेट पर राशन कार्ड है चाहे जिस दुकान पर जाओ घट तौली होती है। व्यवस्था में सुधार नहीं है।उप निबंधक कार्यालय में पूरा स्टांप देने के बाद भी यदि अतिरिक्त धनराशि नहीं दी गई तो स्टांप कमी की रिपोर्ट लगाकर श्रीमान अपर जिला अधिकारी महोदय के यहां पत्रावली भेज दी जाती है। ग्रामीण जनता का सर्वाधिक कार्य थाना ब्लॉक व तहसील में पड़ता है जहां जनता प्रताड़ित होती है तथा उसका आर्थिक दोहन होता है। जनप्रतिनिधि विधायक यद्यपि सक्रिय है परंतु अधिकारी उनको तवज्जो नहीं देते। रही बात भाजपा संगठन की जिला मंडल बूथ तक के कार्यकर्ता कागज पर अधिक है जमीन पर नहीं है। जनप्रतिनिधियों का संगठन या जनता से संवाद समाप्त हो गया है। हमारे उन्नाव जनपद में भाजपा का जिला अध्यक्ष बनने में किसी व्यक्ति में काबिलियत ही नहीं है तभी तो दूसरे जनपद के व्यक्ति को जिला अध्यक्ष बनाया गया है जो केवल जनपद मुख्यालय तक सीमित रहते हैं। उनका सामान्य जनता से कोई जुड़ाव नहीं है। पुराने कार्यकर्ताओं को कोई पूछता नहीं है ।जन आधार बढ़ाने के लिए नए लोगों को जोड़ना आवश्यक है परंतु उन पर नजर रखना भी आवश्यक है। नए लोग चुनाव के समय अपने जातीय दल के साथ चले गए। किसान अपनी आवश्यकता के लिए 10 ट्राली मिट्टी अपने खेत से खनन नहीं कर सकता है परंतु खनन माफिया दिन रात खनन कर डंफर से मिट्टी ले जाते हैं। कृषि भूमि आवंटन पट्टा की भूमि 10 वर्ष बाद असंक्रमणीय भूमि में संक्रमणीय होने का प्रावधान है परंतु 20 से 30 वर्ष बाद भी अनेक किसानों की कृषि भूमि असंक्रमणीय बनी हुई है।पत्र से आरोप लगाया कि भूमि संक्रमणीय कराने हेतु किसान को 10 से 15 हजार रूपये तहसील में खर्च करने होते हैं। जिसमें ऊपर से नीचे तक के सभी अधिकारियों का हिस्सा होता है। बिना रुपए दिए भूमि संक्रमणीय नहीं होती है।असंक्रमणीय भूमि पर किसान को बैंक ऋण नहीं मिलता है। तहसील में कोई शासकीय अधिवक्ता नहीं है जिससे दर्जनों मुकदमे गत कई वर्षों से चल रहे हैं जिनका निस्तारण नहीं हो पा रहा है। कुछ दिनों बाद विधानसभा के भी चुनाव होने हैं यदि यही हाल रहा तो बहुत ही दैनीय स्थिति रहेगी। अभी से संगठन, थाना व ब्लॉक और तहसील में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुर नहीं लगाया गया तो स्थिति भयावह होगी। उपरोक्त समाज की समस्याओं के समाधान हेतु सादर निवेदन है।