तीन शुभ महासंयोग में आज मनाई गई शनि जयंती और वट सावित्री व्रत

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उन्नाव।आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या के अवसर पर बृहस्पतिवार को सुहागिनों नें वट सावित्री व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना की । जनपद मुख्यालय सहित बांगरमऊ तहसील क्षेत्र के नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों के तमाम स्थानों पर महिलाओं ने वट वृक्ष के पास विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की।पूजा के थालों में पूजा की सामग्री के साथ सुहाग की सामग्री चूड़ी, बिन्दी, सिंदूर, महावर आदि रखकर वट वृक्ष के पास पहुंची वहां पर महिलाओं ने जल चढ़ाकर विधिवत रूप से पूजा अर्चना कर सुहाग की सामग्री अर्पित की साथ ही बरगद के पेड़ पर कच्चा धागा लपेट कर परिक्रमा पूर्ण करने के बाद वट वृृक्ष से भेंट कर पूजा का समापन किया। पं. चक्रधारी दुवेदी ने वट वृक्ष सावित्री व्रत के महत्व को बताते हुए कहा कि इस व्रत को सबसे पहले सावित्री ने अपने पति सत्यवान की लंबी आयु के लिए किया था। इसलिए इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है।धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन ही सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण बचाए थे। इसलिए वट सावित्री व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। इस दिन सुहागन स्त्रियां बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। भुनेश्वरी शक्ति पीठ के आचार्य शिवम दुवेदी बताते हैं कि विशेष बात यह है कि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों में तीन बड़े शुभ महासंयोग बन रहे हैं। जहां महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी, वहीं शनि भक्त प्रदोष काल में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करेंगे। इससे उन्हें विशेष फल की प्राप्ति होगी।

उन्होंने बताया कि अमावस्या पर वीरवार को ग्रहों के तीन शुभ महासंयोग बन रहे हैं। इनमें गजकेसरी, बुधादित्य व धृति संयोग शामिल हैं। यह महासंयोग इस दिन को और शुभ बना रहे हैं। शनि का अपनी ही राशि कुंभ में होना बेहद शुभ रहेगा। शुभ संयोग में स्नानादि के बाद पूजा-अर्चना करने से पितरों को शांति मिलेगी। वीरवार शाम 4 से 6:30 बजे तक प्रदोष काल में शनिदेव की पूजा-अर्चना भी भक्तों नें की ।


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