श्रीरामचरितमानस का भारतीय जनमानस पर प्रभाव’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन

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उन्नाव।उत्तर-प्रदेश भाषा संस्थान,लखनऊ द्वारा ‘श्रीरामचरितमानस का भारतीय जनमानस पर प्रभाव’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन ‘विश्वकर्मा मंदिर सभागार’, कब्बाखेड़ा,उन्नाव में किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार,विचारक डॉ० रामनरेश जी ने की। संगोष्ठी का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं बाबा तुलसी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

मुख्य वक्ता के रूप में पधारे जनपद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, चिंतक श्री राम प्रसाद वर्मा ‘सरस’ जी ने कहा कि श्रीरामचरित मानस से प्रेरणा लेकर समाज में रामराज्य की संकल्पना की जा सकती है।उन्होंने ये भी कहा कि मानस में निरूपित जीवन व्यवस्था एक आदर्श समाज के लिए कोरी कल्पना ही नहीं अपितु अनुभवगम्य एवं व्यवहारिक है। साहित्यकार श्री गिरीश अवस्थी ने मानस की महत्ता बताते हुए कहा कि यह समाज के प्रत्येक वर्ग को सद्मार्ग दिखाने सुपावन ग्रन्थ है। जनपद के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री उमानिवास बाजपेयी ने कहा कि मानस के पारायण से अनेकानेक संकटों से व्यक्ति मुक्त हो सकता है। जनपद के सुयोग्य साहित्यकार डॉ० विनय शंकर दीक्षित ‘आशु’ ने कहा कि यह सुपावन ग्रन्थ जीवन जीने के कौशल को सीखने के साथ-साथ शोषितों- वंचितों को समाज में समुचित स्थान प्रदान कराने की प्रेरणा देता है।शिक्षक एवं विचारक श्री विश्वनाथ विश्व ने कहा कि रामचरित मानस जनमानस में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को प्रबल करती है। सुश्री प्रियंका शुक्ला ने रामचरित मानस के प्रभाव को दर्शाते हुए कहा कि इससे लोकमंगल की भावना को बल प्रदान होता है।
सर्वांत में संगोष्ठी के अध्यक्ष डा० रामनरेश जी ने कहा कि श्रीरामचरितमानस के अमृत से वर्तमान भारत का लोकमानस अभिसिंचित है।तुलसीदास जी का यह रामचरितमानस एक शास्ता ग्रन्थ है। संगोष्ठी का संचालन एवं संयोजन साहित्यकार श्री अतुल बाजपेयी ने किया। संगोष्ठी में जनपद के विभिन्न साहित्यानुरागी एवं विद्वान बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।


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