शुगर के मरीजो को आंखो का आपरेशन कराना हुआ सुगम

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हरिशंकर शर्मा कानपुर। एक महीने तक बच्चे को इलाज नही मिलता है तो वह स्थायी रूप से हो सकते है अंधता का शिकार,समय से पहले पैदा हुए बच्चो में आंखो की रोशनी जाने की संभावना ज्यादा होती है,इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल में 35 लाख की लागत से मिली 2 आधुनिक उपकरण,हैलट के नेत्र रेाग विभाग में ग्रीन लेजर ऑपथेलोमोस्कोपी आने से कई जिलों को फायदा मिलेगा,अब नौ माह से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चो की आंखो की रोशनी बचायी जा सकेगी। प्री म्योचोर पैदा होने वाले बच्चो का पर्दा ढंग से विकसित नही हो पता है तथा प्रसव के बाद इन्हें आक्सीजन की भी जरूरत पडती है। डाक्टरो का कहना है कि अगर एक महीने के अंदर बच्चे को इलाज नही मिलता है तो वह स्थायी रूप से अंधता का शिाकर हो जाता है। अब इन बच्चो को हैलट का नेत्र रोग विभाग उनकी रोशनी को फिर से वापस करने का काम करेगा जिसके लिए हैलट विभाग में 35 लाख की लागत से लेजर इनडायरेक्ट ऑपथेलोमोस्कोपी (एलआइओ) मशीन आ गई है अब ऐसे बच्चे भी अपनी आंखो से इस दुनिया को देख सकेंगे।

जीएसवीएम मेडिकल कालेज से स्म्बंद्ध लाला लाजपत राय अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में एक आधुनिक मशीन आयी है इस मशीन से अब शुगर के मरीजों का इलाज भी बिना चीरा लगाए ही हो जाएगा। इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए नेत्र रोग विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर परवेज खान ने बताया कि समय से पूर्व ही जन्म लेने बच्चो में अधिंकाश पूर्ण रूप से विकसित न होने के कारण उन्हें अंधता का भी सामना करना पडता है जिससे उनका पूरा जीवन खराब हो जाता था,लेकिन अब ऐसा नही हो सकेगा क्यों कि इस मशीन से अब सर्जरी करना काफी सुविधा जनक हो जाएगा। आपको बता दे कि विगत पांच वर्षो से ऐसी र्सजरी नही हो पा रहा थी। ऐसी सर्जरी के लिए लेागो को लखनऊ के केजीएमसी या फिर मेरठ की तरफ रूख करना होता था,लेकिन मेडिकल कालेज के प्राचार्य .डॉक्टर संजय काला के अथक प्रयास और मरीजो को बेहतर सुविधा देने के उद्देश्य से उन्होंने डॉक्टर परवेज खान के इस प्रोजेक्ट को शासन को भेजा और प्रस्ताव मंजूर होने के बाद उन्हें मशीन भी मिल गई। इसके साथ ही अस्पताल को बीआईओएम नाम की एक अतिरिक्त मशीन भी मिली है।

शुगर के मरीजो को आंखो का आपरेशन कराना हुआ सुगम
डायबीटिक पेशेंट अक्सर शुगर के बड़ने के कारण वह अपनी आंखो का आपरेशन नही करा पाते थे जिससे उनको अपना आपरेशन कराने के लिए शुगर के कम होने और बीपी नार्मल होने का इंतजार करना पडता था,लेकिन अब लेजर इनडायरेक्ट ऑपथेलोमोस्कोपी मशीन के आ जाने से मोतियाबिंदु और रेटिना का इलाज पूरी तरह से संभव हो गया है।

लेजर इनडायरेक्ट ऑपथेलोमोस्कोपी से समय की होगी बचत
एलआईओ मशीन के आ जाने से अब आपरेशन के लिए मरीजो और उनके तीमारदारो को घंटो इंतजार नही करना पडेगा। व्यस्क का आपरेशन जहां 15 से 20 मिनट में हो जायेगा तो वही बच्चो के आपरेशन में 40 मिनट तक का समय लगेगा। नेहरू नगर निवासी मनोज तिवारी का बीपी की वजह से आंखो के रेटीना खराब हो गया था ,जिसे डॉक्टर परवेज खान से सफल इलाज कर रहे है ,

उपकरण आने से इलाज हुआ संभव
रेटिना स्पेशलिस्ट और वरिष्ठ चिकित्सक नेत्र सर्जन डॉक्टर परवेज खान ने बताया कि नवजात शिशुओ के इस रोग को रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी (आरओपी) कहते है। सप्ताह में आठ से 10 नवजात इस रोग से इलाज के लिए आते है। अभी तक इनको इंजेक्शन के माध्मय से इलाज दिया जा रहा था, जिसकी कीमत 25 हजार रुपए होती थी ,लेकिन अब उपकरण आ जाने से शिशुओ की आंखो की रोशनी नही जा सकेगी,और पैसे भी नहीं लगेगे, साथ ही पर्दे की सर्जरी के लिए बायोम उपकरण भी मिल गया है ,जिससे अब बच्चो के साथ बडो को भी बेहतर इलाज मिलेगा। इस मौके पर सभी जे आर और प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर आर के सिंह उपस्थित रहे ।


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