नीरज बहल कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में वर्तमान समय में सभी ग्रुपो को मिला कर 208 यूनिट बल्ड बैंक में है उपलब्ध है गर्मी का मौसम आते ही ब्लड बैंक में खून की कमी का असर अभी से देखने को मिलने लगा है। एक तरफ जहां 300 यूनिट प्रति माह निःशुल्क थैलेसीमिया के मरीजो को ब्लड दिया जा रहा है तो वही ब्लड के आने की आवक बहुत ही कम हो गई है। ब्लड डोनेट न करने के कारण और ब्लड डोनेट करने की जागरूकता न होने का असर भी ब्लड बैंक में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
ब्लड बैंक में खून लेने वाले कानपुर के ही नही बल्कि आस पास के जनपदो से आए भर्ती मरीजो को ब्लड की आवश्यकता होती है जिनको ब्लड देने के उपरान्त उतना ब्लड बैंक में नही आ पाता जितना खर्च हो जाता है। इस बारे में ब्लड बैंक के कर्मी ने बताया कि थैलासीमिया मरीज , कैदी व लावारिस मरीजो का निःशुल्क ब्लड देना पडता है जिसके बदले में उन्हें वापस ब्लड नही मिलता है। प्रति माह 300 यूनिट ब्लड की खपत थैलेसीमिया मरीजों की है, इसके अलावा बहुत से मरीजों को बिना डोनर भी देना पड़ता है ,,लेकिन डोनेट करने वालो की संख्या बहुत ही कम है। हांलकि ब्लड बैंक की विभागाध्यक्ष अधिकारी डॉक्टर लुबना खान के अथक प्रयास से काफी हद तक ब्लड डोनेट के लिए लोगो को जागरूक कर ब्लड की व्यवस्था कराई जाती है, बावजूद इसके खपत ज्यादा होने के कारण बल्ड कोष में पर्याप्त ब्लड नही रह जाता है जिसके चलते कई मरीजो को असुविधा का सामना करना पडता है।
उपलब्ध का ब्लड की संख्या
ब्लड बैंक में जिन ग्रुप का ब्लड मौजूद है है उनमें से ए पाजिटिव 11 यूनिट, ए नेगेटिव 10 यूनिट, बी पाजिटिव 35 यूनिट, बी नेगेटिव 08 यूनिट, ओ पाजिटिव 122 यूनिट, ओ नेगेटिव 15 यूनिट, एबी पाजिटिव 13 यूनिट व एबी नेगेटिव 4 यूनिट है। यानि कुल 208 यूनिट ब्लड ही वर्तमान समय में ब्लड बैंक में उपलब्ध है।
विभागाध्यक्ष डॉक्टर लुबना खान का कहना है,कैंप कम हो रहे हैं ,स्कूलों से एग्जाम हो रहे हैं,जिससे बच्चे जो ब्लड दान करते हैं ,नही कर पा रहे ,पुलिस विभाग द्वारा जो डोनेशन मिलता है वह इलेक्शन के दौरान नही हो पा रहा,डॉक्टर लुबना खान का कहना है,जल्दी ही थैलेसीमिया मरीज के परिवार का ब्लड डोनेशन किया जाएगा, ब्लड की कमी पूरे उत्तर प्रदेश में है जरूरत पर दूसरे जिलों से भी ब्लड मंगाया जाता है जो नहीं हो पा रहा, डोनेशन देने वाले गर्मियों में ब्लड का डोनेट कर सकते हैं हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर ही अपनी देखरेख में मरीज का ब्लड डोनेट करते हैं।