प्रमुख संवाददाता गिरीश चंद्र त्रिपाठी उन्नाव ।बांगरमऊ के पड़ोसी जनपद हरदोई के विकासखंड मल्लावां की ग्राम पंचायत गंजजलालाबाद में आजादी के बाद पंचायत सरकारें आती जाती रही पर पर गाँव की हरिजन बस्ती का बद से बदतर ही हाल रहा। हरिजनों को वोट के लिये उसी तरह प्रयोग किया गया जैसे बिरियानी में तेज पत्ते का प्रयोग किया जाता है, बिरियानी बनाते समय तेज पत्ता डाला तो जरूर जाता है पर खाते समय निकाल कर फेंक दिया जाता है,वही हाल हरिजनों का था। न तो सम्मान मिला न ही अधिकार,समय गुजरा सत्ता परिवर्तन हुआ समाज सेवी माननीय नरेश दीक्षित जी के नेतृत्व में उनकी पत्नी स्वर्गीय प्रेम लता दीक्षित जी बहुमत से चुनाव में विजय घोषित हुईं सभी हरिजनों को उन्होंने उचित सम्मान देकर विकास कार्य शुरू किए,पर होंनी को कुछ और ही मंजूर था ,एक वर्ष भी पूरा कार्यकाल नही हो पाया था।श्री मती प्रेमलता दीक्षित जी का ह्रदय गति रुकने से आकस्मिक निधन हो गया,सम्पूर्ण ग्राम पंचायत में शोक की लहर फैल गयी,
गाँव की जनता की आस टूट गयी,पूरा परिवार शोकाकुल हो गया ,फिर हुवा मध्यावधि चुनाव जो अभिषेक दीक्षित जी ने लड़ा अपनी माता जी के सपने को पूरा करने के लिए,जनता ने उनपर भरोसा जताया और भारी मतों से अभिषेक जी विजयी हुवे, जो भरोसा जनता ने उनपर किया वो उसमे वो खरे भी उतरे,विकास के नए आयामो पर ग्राम पंचायत को उन्होंने पहुँचाया, विरोधियों ने कई अवरोध भी पैदा किये पर विकास का पहिया अभिषेक जी ने रुकने नही दिया,सबसे पहले उन्होंने देवी पुरवा में विकास कार्य का वादा किया था।और उन्होंने एक लंबी इंटर लॉकिंग सड़क का निर्माण करवाकर अपना वादा पूरा किया,हर घर शौचालय व लगभग 56 आवास भी दिलवाए वो भी बिना राजनैतिक द्वेष भावना के,फिर भी विरोधियों में खलभली मची रही ,कुछ न कर पाए तो होर्डिग ही फाड़ना शुरू कर दी, लोगों को भृमित करना भी शुरू किया गया कि ये आवास पिछली प्रधानी के आये हैं, इन सब बातों की परवाह किये बिना अभिषेक जी ने पीछे मुड़कर नही देखा विकास कार्य चलते ही रहे, प्रतिदिन नाली सफाई, झाड़ू, अस्पताल, बिजली,पानी,शिक्षा, कृषि,आदि सभी क्षेत्र में उन्होंने ध्यान दिया। एक कोचिंग का भी संचालन किया जा रहा है जो विद्यालय समय के उपरांत चलती है जो बिल्कुल निःशुल्क है गाँव के बच्चे इसमे प्रतदिन पढ़ने जाते है,इस कोचिंग सेंटर में 3 योग्य शिक्षको द्वारा शिक्षण कार्य किया जाता है जिनका वेतन ग्राम प्रधान अभिषेक दीक्षित जी स्वनिधि से देते हैं।और सबसे बड़ी और खास बात अभिषेक जी हर त्योहार गाँव की जनता के साथ मिलकर मनाते हैं,होली हो या ईद ,सभी को घर से बुलाकर उन्ही के साथ कभी दाल बाटी, कभी पूड़ी सब्जी कभी आलू का होला, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि जैसे सम्पूर्ण ग्राम पंचायत ही उनका परिवार है,इनसभी कार्यक्रमो में हिंदू मुस्लिम,हरिजन एक साथ बैठते है ,माहौल कितना सुंदर लगता होगा ये तो महसूस ही किया जा सकता है।ग्राम पंचायत के मजरा खेतहरा हरिजन बस्ती में न नाली थी न ही सड़क, इस बस्ती में इस समय जोर शोर से काम चल रहा है,
ऐसा शिक्षित नेक दिल नेतृत्व ही ग्राम पंचायत को चाहिए था।