स्ट्रोक होने पर गोल्डन टाइम में मरीज़ को लाने से बचाई जा सकती है जान- डॉ रोहित भाटिया स्ट्रोक मरीजो के लिए प्राचार्य ने उपलब्ध करके 40 इंजेक्शन

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नीरज बहल कानपुर। स्ट्रोक एयर लकवे को लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सभागार में स्ट्रोक व लकवे के गोल्डन टाइम जागरूकता को लेकर एक बैठके आहूत की गई। बैठक में स्ट्रोक के कारण और मरीज़ को कितने समय मे अस्पताल पहुंचना चाहिए इस बारे में दिल्ली एम्स से आये वरिष्ठ चिकित्सक से जानकारी साझा की।

डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष विश्व मे 1.5 करोड़ लोगों को स्ट्रोक और लकवा हो जाता है जिसमे 50 लाख से ज्यादा मरीजो की मौत हो जाती है। दिल्ली एम्स से आये न्यूरोलॉजिस्ट डॉ रोहित भाटिया ने बताया कि स्ट्रोक को दो भागों में बांटा गया है जिसमे इस्केमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक स्ट्रोक है। इस्केमिक स्ट्रोक होने पर मरीज़ के दिमाग मे खून के थक्के जम जाते है जिससे रक्त स्राव होने लगता है वही हेमोरेजिक स्ट्रोक पड़ने से मरीज़ के मष्तिष्क की नसें फट जाती जिसके कारण रक्त बहने लगता है। उन्होंने बताया कि भारतीय आंकड़ो के अनुसार 1 प्रतिशत से भी कम रोगियों को थ्रोमोलेसिस मिल पाता है। थ्रोमोलेसिस एक ऐसा उपचार है जिसमे ब्लड के थक्के को तोड़ने व बनाने से रोकने के लिए थ्रोम्बोलिटिक का प्रयोग किया जाता है। स्ट्रोक अन्वेषणकर्ता एवम प्रोजेक्ट संबंधित 22 प्रभारी बनाये गए है जो अन्य चिकित्सको के साथ मिल कर स्ट्रोक प्रबंधन जागरूकता पर जोर देंगे। डॉ आलोक वर्मा न्यूरो व डॉ निखिल कुमार साहू ने बताया कि स्ट्रोक पड़ने के 4.5 घण्टे के अंदर अगर मरीज़ अस्पताल आ जाता है तो उसे पूरी तरह से बचाया जा सकता है। स्ट्रोक पीड़ितों के लिए प्राचार्य प्रो0 डॉ संजय काला ने 40 इंजेक्शन उपलब्ध कराए है । एक इंजेक्शन की कीमत 25 हज़ार रुपए है जो कि गोल्डन टाइम में आने वाले मरीजो को निःशुल्क लगाया जाएगा। प्राचार्य डॉ संजय काला द्वारा मरीजो को उपलब्ध कराए गए इंजेक्शन से कई मरीजो की जान को बचाने का कार्य किया जाएगा जिसका सारा श्रेय प्राचार्य डॉ संजय काला को जाता है। उनके इस सराहनीय पहल मानवता की सबसे बड़ी मिसाल है।


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