बाल रोग विभाग में एमआरआई मशीन का हुआ शुभाम्भ – 5 से 10 मिनट में पता चल सकेगी दिमाग से सम्बंधित सभी बीमारियां – प्रदेश में पहली मशीन हैलट के बाल रोग को मिली

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हरिशंकर शर्मा कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कालेज से सम्बंद्ध अस्पताल हैलट के बाल रोग विभाग में डब्लूएचओ द्वारा संचालित योजना आईकेएमसी (इमिडियेट कंगारू मदर केयर) के तहत जन्म लेने वाले बच्चो के मस्तिष्क में हाने वाली बामारियों का पता करने के लिए एक पोर्टेबल एमआरआई मशीन दी गई जिसको बाल रोग विभाग के एनआईसीयू के बगल वाले कमरे में लगा दिया गया और उसको इंस्टाल भी कर दिया गया। इस मशीन के लग जाने से जन्मजात बच्चो के दिमाग में होने वाली बामारियों का जल्द पता चल सकेगा और उसका इलाज कर उस बच्चे के दिमाग को बचाया जा सकेगा। डाक्टरो का कहना है कि यह मशीन फिलहाल उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पहली है जो कि एक बहुत बडी उपलब्धि है।

एमआरआई मशीन के बारे में बताते हुए बाल रोग विशेषज्ञ डा0 यशवंत राव ने बताया कि कई ऐसी बीमारियां होती है जो कि अल्ट्रासाउण्ड में पकड में नही आती है जिसके कारण इलाज करने में बहुत समस्याओ का सामना करना पडता है और बच्चे को ज्यादा सफर करना होता है ,लेकिन इस मशीन के लग जाने से 3 से 5 मिनट के अंदर ही बीमारी पकड में आ जाएगी। उन्होंने बताया कि बाल कुपोषण विभाग की इंचार्ज डा0 रूपा डालमियां से भी चर्चा हुई कि मशीन की फिल्म का पैसा होता है ,लेकिन अगर हम मशीन को लैपटाप से जोड कर उसकी फिल्म को मोबाइल पर लेकर सीधे रेडियोलाजी विभाग भेज कर उसके बारे में सलाह लेकर उसका उसी के अनुसार उपचार प्रारम्भ कर बच्चे को बचा सकते है। साथ ही यह भी बताया कि मशीन .065 टेक्सला की है जो बडी मशीन 1.5 टेक्सला से बहुत कम है। उन्होंने बताया कि इस मशीन को डब्लूएचओ द्वारा संचालित प्रोजेक्ट आईकेएमसी ((इमिडियेट कंगारू मदर केयर) के अर्न्तगत मिली है। इसी क्रम में प्राचार्य डा0 संजय काला ने बताया कि मान लिजिए कि अगर बच्चे के दिमाग में पानी भरा हुआ है तो ऐसी दशा में देर होने पर दिमाग में ज्यादा पानी भर जाने से दिमाग डेमेज हो सकता है ,लेकिन मशीन द्वारा जानकारी मिलते ही समय से उपचार कर कई बच्चो को अपाहिज होने से बचा सकते है। वहीं बाल रोग विभागध्यक्ष डा0 अरूण आर्या ने बताया कि कई बार बच्चो के दिमाग में आक्सीजन नही पहुंच पाती है जिसका कारण पता करने में और बच्चे को एमआरआई कराने के लिए उनके अभिभावको को काफी मशक्त करनी पडती थी,लेकिन अब मशीन के द्वारा दिमाग की सभी इमेजस आसानी से 5 मिनट में उपलब्ध हो जाएगी और कुछ ही समय से रेडियोलाजी विभाग भेज कर उसकी जानकारी कर बच्चे का इलाज शुरू किया जा सकेगा। इस दौरान प्राचार्य डा0 संजय काला ने डा0 यशवंत राव , डा0 अरूण आर्या विभागध्यक्ष बाल रोग व डा0 रूपा डालमियां की प्रशंसा करते हुए एक बडी उपलब्धि बतायी है। उन्होंने कहा कि अस्पताल का स्वरूप आधुनिक करने के साथ ही बेहतर इलाज देने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है जिसमें हम सब सफल होते दिख रहे है। प्रेसवार्ता के दौरान मीडिया प्रभारी डा0 सीमा द्विवेदी मौजूद रही।


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