हरिशंकर शर्मा
कानपुर। भारतीय बाल रोग अकादमी कानपुर शाखा द्वारा एक अगस्त 2023 से 7 अगस्त 2023 तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन कर रही है जिसके अन्तर्गत स्तनपान के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कानपुर शहर के विभिन्न वर्गों में जागरूकता करने हेतु विभिन्न कार्यक्रम का शहर के हर क्षेत्र में आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम को लेकर बाल रोग सभागार जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एक प्रेसवार्ता आयोजित की गई। इस अवसर पर संयोजक डॉ वैभव भल्ला, अध्यक्ष डॉ विवेक सक्सेना, सचिव एवं बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार आर्या, डॉ वी एन त्रिपाठी, डॉ शैलेंद्र गौतम, डा देवेन्द्र अवस्थी आदि उपस्थित थे।
प्रेसवार्ता के दौरान डॉ विवेक सक्सेना में बताया कि भारतीय बाल रोग अकादमी विश्व स्तनपान पिछले विगत वर्षों से आयोजित कर रहा है ताकि माताएं वा अभिभावक तथा समाज इस विषय में जागरूक हो सके । प्रकृति ने शिशु के लिए मां के स्तन में दूध दिया है जिसमें शिशु के लिए आवश्यक सभी पौष्टिक तत्व एकदम सही अनुपात में तापक्रम और गुणवत्ता में है जिसे शिशु आसानी से पचा लेता है इस स्तनपान से मां और शिशु को भावनात्मक संतोष मिलता है। मां का दूध पीने वाले शिशु में मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ कैंसर, दमा बीमारी कम होती है तथा संक्रामक रोगों से आपके नौनिहाल को बचाता है । इनका मानसिक विकास भी मां के दूध में लाभदायक तत्वों की वजह से बेहतर होता है। वहीं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अरुण कुमार आर्या ने बताया कि नवजात शिशु के लिए मां का दूध एक सर्वाेत्तम आहार है। शिशु को स्तनपान के माध्यम से कुपोषण के खतरे से बचाया जा सकता है तथा आने वाले शिशु काल के संक्रामक रोगों से बचाया जा सकता है शिशु के जन्म से छह माह की आयु तक आहार के रूप में केवल मां का दूध ही पिलाना चाहिए तथा अन्य कोई पेय अथवा ठोस आहार पानी नहीं दिया जाना चाहिए। नवजात शिशु के जन्म लेते ही स्तनपान प्रारंभ कर देना चाहिए। इस हेतु मा को पूर्व में ही स्तनपान की जानकारी दी जानी चाहिए। इसी क्रम में डॉ वैभव भल्ला ने बताया कि मां का दूध ही बच्चे का पहला टीकाकरण है। स्तनपान करने वाले बच्चों में रोग ग्रस्त होने की संभावना काफी कम हो जाती है। स्तनपान करने वाले च्चे डायरिया निमोनिया जैसी बिमारियों से बचे रहते हैं। मां का दूध पीने वाले बच्चे में पेट वा से रोग छे गुना एलर्जी जैसी दमा एक्जिमा होने की संभावना सात गुना कम होती है। यह क्रमण रोगों से आपके नौनिहाल को बचाता है। डॉ वी एन त्रिपाठी ने बताया कि शिशु को स्तन से बारी-बारी दूध पिलाना चाहिए। एक र में एक स्तन खाली हो जाने पर फिर दूसरा पलाना चाहिए। ध्यान रखें शिशु की पकड़ निप्पल ना होकर उसके चारों ओर गहरे रंग के हिस्से एरिओला पर होनी चाहिए स सिर्फ निप्पल मने से घाव और दरार होने का खतरा रहता है।
इस दौरान डॉ देवेंद्र अवस्थी वा डॉ शैलेंद्र गौतम ने इस वर्ष की थीम व स्तनपान से संबंधिता क्रमों की जानकारी दी। ]